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हिमाचल सरकार को हाईकोर्ट से झटका, वॉटर सेस एक्ट असंवैधानिक करार
Water Cess Act: शिमला। हिमाचल की कांग्रेस सरकार को हिमाचल हाईकोर्ट (Himachal High Court) से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने हिमाचल सरकार द्वारा लगाए गए वॉटर सेस एक्ट को असंवैधानिक करार (Water Cess Act declared unconstitutional)दिया है। इस फैसले के बाद राज्य सरकार जल विद्युत परियोजनाओं(Hydro power projects) से वॉटर सेस नहीं वसूल सकेगी। जस्टिस त्रिलोक चौहान और सत्येन वैद्य की बेंच ने मंगलवार को यह फैसला सुनाया।
बिजली उत्पादन कंपनियों की ओर से कांग्रेस के राज्यसभा प्रत्याशी रहे वकील अभिषेक मनु सिंघवी और भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता वर्चुअली हाई कोर्ट में पेश हुए थे। हिमाचल सरकार की ओर से दुष्यंत दवे और अन्य वकीलों ने कोर्ट में हिमाचल सरकार( Himachal Govt) का पक्ष रखा। जाहिर है राज्य की करीब 40 बिजली उत्पादक कंपनियों ने राज्य सरकार के वॉटर सेस एक्ट को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।
हर साल करीब 4000 करोड़ रुपये की आय की उम्मीद
सुक्खू सरकार ने सत्ता में आते ही आर्थिक संसाधन जुटाने के लिए प्रदेश में चल रही बिजली परियोजनाओं पर जल उपकर लगाने का फैसला लिया था। इसके लिए विधानसभा में एक्ट बनाया गया। सरकार को इस कवायद से हर साल करीब 4000 करोड़ रुपये की आय की उम्मीद थी। हालांकि बाद में वॉटर सेस की दर की समीक्षा की गई, जिसके बाद हिमाचल को 2000 करोड़ रुपये की उम्मीद थी ।
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यहां तक कि एक जल आयोग( Jal Ayog) भी बनाया गया जिसके अध्यक्ष सेवानिवृत्त आईएएस अमिताभ अवस्थी थे। लगभग 170 कंपनियों ने जल आयोग के साथ अपना पंजीकरण कराया था। कुछ कंपनियों ने सरकार को जल उपकर भी देना शुरू कर दिया था। लेकिन कई बड़ी कंपनियां इस फैसले के खिलाफ कोर्ट चली गईं। कोर्ट ने फैसले में कहा कि राज्य सरकार को संविधान के तहत यह कानून बनाने का अधिकार नहीं है। इससे बिजली उत्पादक कंपनियों को बड़ी राहत मिली है। इससे पहले केंद्र सरकार भी हिमाचल को दो बार पत्र लिखकर वॉटर सेस वसूली पर रोक लगा चुकी है। हिमाचल से पहले उत्तराखंड और जम्मू कश्मीर में भी वॉटर सेस वसूला जा रहा है।