-
Advertisement
BBMB और चंडीगढ़ में हिस्सेदार: सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखेगी सुक्खू सरकार
शिमला। पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 के अनुसार बीबीएमबी और चंडीगढ़ में हिमाचल के हिस्से (Himachal Share on BBMB and Chandigarh) की मांग को लेकर सोमवार को यहां राज्य सचिवालय में हुई कैबिनेट सब कमेटी की बैठक में तय हुआ कि पहले सुप्रीम कोर्ट में 26 जुलाई को होने वाली सुनवाई में अपना पक्ष मजबूती से रखा जाए।
कैबिनेट सब कमेटी को पंजाब पुनर्गठन अधिनियम (Punjab State Reorganization Act) के तहत अंतर राज्यों के बीच हुए समझौतों को लेकर सरकार को अपनी राय देनी है। कमेटी के अध्यक्ष कृषि मंत्री चंद्र कुमार हैं। उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान और राजस्व मंत्री जगत नेगी कमेटी के सदस्य हैं। कमेटी के अध्यक्ष कृषि मंत्री चंद्र कुमार हैं। उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान और राजस्व मंत्री जगत नेगी कमेटी के सदस्य हैं। राज्य सचिवालय में हुई बैठक में यह तय किया गया कि हिमाचल के पोंग, भाखड़ा, डेहर, ब्यास आदि परियोजनाओं में हिमाचल 7.19 प्रतिशत हिस्सा मिलने को लेकर सुप्रीम कोर्ट (SC) में सरकार का पक्ष रखा जाएगा। चूंकि अभी मामला सुप्रीम कोर्ट के विचाराधीन है, इसलिए अभी इस मामले में कोई फैसला उचित नहीं होगा। कमेटी चाहती है कि पहले कोर्ट का रुख साफ हो जाए।
यह भी पढ़े:अनुच्छेद 370 मामले में अब सुप्रीम कोर्ट में रोजाना होगी सुनवाई
बीबीएमबी से कोई रॉयल्टी नहीं मिलती
पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 में पंजाब, हरियाणा व हिमाचल की जनसंख्या, संसाधन और विकास को आधार मानकर हिमाचल को 7.19 प्रतिशत हिस्सा देने का निर्णय लिया गया था। इसमें पंजाब, हिमाचल और चंडीगढ़ के बीच हिस्सेदारी का आवंटन होना था। 1971 में पड़ोसी प्रदेशों के बीच हिस्सेदारी का समझौता भी हुआ था। लेकिन हिमाचल जब पंजाब से अलग हुआ तो चंडीगढ़, बीबीएमबी में हिस्सेदारी तय की गई। हिमाचल को अभी बीबीएमबी में एक फीसदी भी रायल्टी नहीं मिल रही है, जबकि पार्टनर स्टेट्स के साथ जमीनों और बिजली परियोजनाओं में हिस्सेदारी का फॉर्मूला पहले ही तय हो गया था। सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू इससे पहले कह चुके हैं कि हिमाचल हर क्षेत्र में पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 के अनुसार अपना वैध 7.19 प्रतिशत हिस्सा मांगेगा, चाहे वह चंडीगढ़ में हो या बीबीएमबी परियोजनाओं से रायल्टी हो।