-
Advertisement
सुबाथू डिग्री कॉलेज को डी-नोटिफाई करने पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक
विधि संवाददाता/शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज सुबाथू को डी-नोटिफाई (De-Notify) करने की अधिसूचना पर रोक लगा दी है। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज सुबाथू (Subathu Degree College) के पीटीए की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई के बाद यह आदेश पारित किए। 14 अक्टूबर 2022 को गोस्वामी गणेश दत्त सनातन धर्म कॉलेज सुबाथू जिला सोलन को जनहित में राज्य सरकार ने टेकओवर कर लिया था। इस कॉलेज को टेकओवर (Take Over) करने के लिए तत्कालीन सीएम ने घोषणा की थी। इसके बाद कॉलेज को टेकओवर करने की सारी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई। 14 अक्टूबर 2022 को अधिसूचना जारी कर इस कॉलेज को राज्य सरकार ने अपने अधीन ले लिया। उसी दिन राज्य सरकार ने इतिहास, हिंदी, अंग्रेजी, अर्थशास्त्र, वाणिज्यशास्त्र के अध्यापकों तथा नॉन टीचिंग स्टाफ (Non Teaching Staff) की सेवाओं को भी टेकओवर कर लिया।
यह भी पढ़े:पीड़िता की सहमति से POCSO केस सुलझे तो FIR रद्द करने पर आपत्ति नहीं
आचार संहिता से दो दिन पहले अधिसूचना
राज्य सरकार ने इसके बाद सेवानिवृत कर्मचारी के सेवानिवृत्ति लाभों का हस्तांतरण भी कर दिया। दिसंबर 2022 में नई सरकार सत्ता में आई और 20 नवंबर 2023 को डी नोटिफिकेशन संबंधी सामान्य आदेश जारी कर पिछली सरकार के 14 अक्टूबर 2022 को जारी अधिसूचना को वापस ले लिया। प्रार्थी संघ की यह दलील थी कि 20 नवंबर 2023 को जारी की गई अधिसूचना कानूनी सिद्धांतों के बिल्कुल विपरीत है। राज्य सरकार की यह दलील थी कि इस कॉलेज को अपने अधीन लेने की अधिसूचना (Notification) आचार संहिता (Model Code Of Conduct) के मात्र दो दिन पहले की गई थी। सुबाथू से मात्र 25 किलोमीटर की दूरी पर धर्मपुर में गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज स्थित है। कॉलेज को खोलने के लिए 35 बीघा जमीन का होना अनिवार्य है। जबकि सुबाथू कॉलेज के पास केवल 8 बीघा की जमीन है।
यह भी पढ़े:बार-बार पुनर्विचार याचिका लगाने वाले शिक्षा विभाग पर HC ने ठोका जुर्माना
वित्त विभाग की नहीं ली मंजूरी
इस कॉलेज को टेकओवर करने से पहले वित्त विभाग की सलाह नहीं ली गई, ताकि उस कॉलेज के लिए पदों का सृजन किया जा सकता। कोर्ट ने यह पाया कि 12 अक्टूबर 2022 को कैबिनेट की बैठक में कॉलेज को टेकओवर (Takeover) करने का निर्णय लेने के साथ-साथ उक्त कालेज के लिए वित्त विभाग से सलाह मश्विरा करने के पश्चात पदों को सृजित करने के विषय में निर्णय लिया। मगर वित्त विभाग ने आचार संहिता लगने के कारण पदों का सृजन नहीं किया। कोर्ट ने 30 अगस्त 2022 को तैयार की गई फीजिबिलिटी रिपोर्ट व मामले से जुड़े अन्य तथ्यों के दृष्टिगत प्रथम दृष्टया प्रार्थी अभिभावक अध्यापक संघ की दलीलों से सहमति जताते हुए 20 नवंबर 2023 को जारी अधिसूचना पर अपने स्थगन आदेश पारित कर दिए। मामले पर अगली सुनवाई 3 जनवरी 2024 को होगी।