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हिमाचल हाईकोर्ट: लिखित परीक्षा से 300 डाक्टरों की भर्ती के खिलाफ दायर याचिका खारिज
शिमला। हिमाचल हाईकोर्ट (Himachal HighCourt) ने लिखित परीक्षा के माध्यम से डॉक्टरों के 300 पद ( 300 posts of Doctors Post) भरने के विरोध में दायर याचिका को खारिज कर दिया। मुख्य न्यायाधीश एए सैयद और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने इस मामले में स्पष्ट किया कि स्वास्थ्य विभाग अब लिखित परीक्षा के परिणाम (Result) को घोषित करने के लिए स्वतंत्र है। गौरतलब है कि 2 सितंबर 2022 को अदालत की अनुमति से परीक्षा का परिणाम घोषित न करने के आदेश जारी किए थे। उल्लेखनीय है कि इस मामले में प्रदेश हाईकोर्ट से याचिकाकर्ता डॉक्टरों को कोई फौरी राहत नहीं मिली थी। हालांकि कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को लिखित परीक्षा में बैठने की अनुमति देते हुए परीक्षा परिणाम कोर्ट के आगामी आदेशानुसार ही घोषित करने के आदेश पारित किए थे। गौरतलब है कि राज्य सरकार ने डाक्टरों के 300 पदों की भर्ती लिखित परीक्षा के माध्यम से करवाने का निर्णय लिया था।
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याचिकाकर्ता डॉक्टर शौर्या चौधरी और अन्य की ओर से दायर याचिका में दलील दी गई है कि राज्य सरकार वर्ष 2012 से 2022 तक इन पदों को वाक इन इंटरव्यू से ही भरती आ रही है। परंतु राज्य मंत्रिमंडल ने 200 पद वाक इन इंटरव्यू से और 300 पद लिखित भर्ती परीक्षा करवाकर भरे जाने का निर्णय लिया। 21 दिसंबर 2020 को राज्य सरकार ने चिकित्सकों के 251 पद वाक इन इंटरव्यू से ही भरे थे। इसके अलावा एक फरवरी 2022 को भी चिकित्सकों के 43 पद भरे गए थे। 14 जुलाई, 2022 को राज्य सरकार ने चिकित्सकों के 200 पद वाक इन इंटरव्यू से भरे जाने को स्वीकृति दी थी। आरोप लगाया गया है कि 3 अगस्त, 2022 को राज्य सरकार ने अपने ही फैसले को पलटते हुए 300 पदों को लिखित परीक्षा के माध्यम से भरे जाने का निर्णय लिया था। सरकार का इस तरह का निर्णय नियमों के विपरीत ही नहीं बल्कि नौकरी की राह देख रहे प्रशिक्षु चिकित्सकों के साथ भी खिलवाड़ है।
डिप्लोमा धारकों को आयुर्वेदिक फार्मासिस्ट के पद पर कंसीडर करने के दिए आदेश
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने वर्ष 2003 से पूर्व बिहार स्टेट फैकल्टी ऑफ़ आयुर्वेदिक व युनानी सिस्टम ऑफ़ मेडिसिन पटना से आयुर्वेदिक फार्मासिस्ट से 2 साल का डिप्लोमा करने वाले प्रार्थियों को प्रदेश में आयुर्वेदिक फार्मासिस्ट के पद पर कंसीडर करने के आदेश जारी कर दिए। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने अपने निर्णय में यह स्पष्ट किया कि वर्ष 2003 पूर्व से जिन लोगों ने आयुर्वेदिक बिहार स्टेट फैकल्टी ऑफ आयुर्वेदिक व यूनानी सिस्टम से 2 वर्ष के आयुर्वेदिक फार्मासिस्ट के डिप्लोमा किए हैं वह प्रदेश में मान्य है। प्रार्थियों ने प्रदेश उच्च न्यायालय से गुहार लगाई थी कि उन्हें बैच वाइज आयुर्वेदिक फार्मासिस्ट के पद पर उस तारीख से नियुक्ति प्रदान की जाए जिस तारीख से उनके कनिष्ठ आयुर्वेदिक फार्मासिस्ट के पद पर तैनात किए गए हैं।
सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट को जल स्त्रोत के साथ स्थापित करने की याचिका पर सुनवाई टली
सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (Sewerage Treatment Plant) को जल स्त्रोत व जल आपूर्ति स्कीम के साथ स्थापित करने के विरोध से जुड़े मामले में सुनवाई 9 नवंबर 2020 के लिए टल गई। न्यायाधीश एए सैयद व न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने दोनों पक्षकारों को नेशनल एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट की कमेटी की रिपोर्ट का अवलोकन करने का समय देते हुए मामले पर आगामी सुनवाई 6 सप्ताह के बाद रख ली। मामले के अनुसार बिलासपुर जिला के झंडुत्ता तहसील के अंतर्गत आने वाले गांव झभोला में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किया जा रहा है जिसके विरोध में हाईकोर्ट के समक्ष याचिका दायर कर यह आरोप लगाया गया है कि यह सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट पानी के स्त्रोत व जल आपूर्ति स्कीम के बिल्कुल साथ लगाया जा रहा है। यह स्कीम लगभग 5000 लोगों के लिए पानी की व्यवस्था मुहैया करवा रही है। सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के स्थापित होने से प्रदूषित पानी लोगो के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालेगा।
निदेशक पर्यटन दाखिल करें आइस स्केटिंग रिंक शिमला के विकास संबंधी हलफनामा
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने निदेशक पर्यटन को प्रस्तावित रोड मैप के साथ आइस स्केटिंग रिंक शिमला के विकास के संबंध में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। सुनवाई के दौरान अदालत के संज्ञान में लाया गया कि 13 मार्च 2020 को अतिरिक्त मुख्य सचिव ;पर्यटन और नागरिक उड्डयनद्ध की अध्यक्षता में आइस स्केटिंग रिंक के विकास के उद्देश्य से बैठक आयोजित की गई थी। बताया गया कि इस बैठक के बाद कुछ अन्य बैठकें भी हुई हैं और ऐसी ही एक बैठक हाल ही में सितंबरए 2022 के पहले सप्ताह में आयोजित की गई थी। इस पर न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने निदेशक पर्यटन को अपने हलफनामे के साथ बैठक के मिनट्स को कोर्ट के समक्ष रखने का निर्देश दिया।
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