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हिमाचल हाई कोर्ट ने सामान्य ड्यूटी घंटों से ज्यादा काम लेने पर दिया बड़ा फैसला, जरूर पढ़ें यह खबर
शिमला। हिमाचल उच्च न्यायालय (Himachal High Court) ने समान काम के लिए समान वेतन व नियमितीकरण की मांग को लेकर दायर याचिका का निपटारा करते हुए सामान्य ड्यूटी घंटों (Normal Duty Hours) से अधिक काम लेने पर प्रार्थी सुधा देवी को 2 लाख रुपए अतिरिक्त देने के आदेश दिए। मुख्य न्यायाधीश (Chief Judge) मोहम्मद रफीक व न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने तत्कालीन प्रशासनिक ट्रिब्यूनल के आदेशों को रद्द करते हुए यह निर्णय (Judgment) सुनाया। दो माह की अवधि के भीतर उपरोक्त राशि का भुगतान न करने की स्थिति में सात फीसदी ब्याज (Seven Percent Interest) भी देना होगा। कोर्ट ने मामले के रिकॉर्ड का अवलोकन करने के पश्चात पाया कि याचिकाकर्ता को जिला सांख्यिकी अधिकारी, कार्यालय शिमला (Shimla) में 20-5-2002 को अंशकालिक कार्यकर्ता के रूप में नियुक्त किया गया था । वर्ष 2007 के बाद कार्यालय ने चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भारी कमी महसूस की। एक कर्मी की सचिवालय में तैनाती होने के कारण वह जिला सांख्यिकी अधिकारी, कार्यालय में कर्तव्यों का निर्वहन करने में संभव नही था। इस कारण इस कार्यालय के अधिकारियों ने याचिकाकर्ता से कार्यालय का अतिरिक्त कार्य लेना शुरू कर दिया।
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भुगतान न करने पर सात फीसदी ब्जाज सहित देनी होगी रकम
उपलब्ध आधिकारिक पत्राचार के अनुसार याचिकाकर्ता को डायरी ण्प्रेषण कार्य, कार्यालय को खोलना व बंद करना और कार्यालय (Office) से संबंधित अन्य विविध कार्य करने पड़े। याचिकाकर्ता से अतिरिक्त काम लेने का यह तथ्य उच्च अधिकारियों के संज्ञान में भी लाया गया था । चपरासी (Peon) की कमी के चलते जिला सांख्यिकी अधिकारी शिमला कार्यालय में एक चपरासी की तैनाती का भी अनुरोध किया। यद्यपि पत्राचार रिकॉर्ड के मुताबिक जिला सांख्यिकी अधिकारी को आर्थिक सलाहकार हिमाचल प्रदेश सरकार (Himachal Goverment ) ने इस प्रकार की चिट्ठी भेजने के लिए फटकार लगाई थी, लेकिन तथ्य यही रहा कि याचिकाकर्ता से वर्ष 2007 से 06-06-2012 तक उसकी सामान्य ड्यूटी के अलावा अतिरिक्त काम लिया गया था। कोर्ट ने पाया कि यह निश्चित है कि उसने वर्ष 2007 से 06-06-2012 तक सामान्य ड्यूटी घंटों से अधिक काम किया। याचिका के लंबित रहते विभाग ने प्रार्थी को खुद ही नियमित कर दिया था। अतः न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता को दो लाख रुपए उपरोक्त अवधि के दौरान किए गए अतिरिक्त कार्य की एवज में देना न्यायसंगत होगा। कोर्ट ने यह राशि दो महीने की अवधि के भीतर भुगतान न करने पर उपरोक्त राशि को फीसदी प्रति वर्ष की दर से ब्याज सहित भुगतान करने के आदेश जारी किए।
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हिमाचल हाई कोर्ट का आदेश, भर्ती नियमों में कब तक होगा संशोधन, मुख्य सचिव दें शपथ पत्र
वर्ष 2012 से 23 सितंबर 2018 तक 544 शास्त्री अध्यापकों (Shastri Teachers) को बिना बीएड डिग्री के नियुक्त किया गया था। वर्ष 2018 के बाद 423 शास्त्री अध्यापकों की नियुक्ति की गई। यह जानकारी शास्त्री अध्यापकों की नियुक्तियों से जुड़े मामले में शिक्षा विभाग ने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय दी। शिक्षा विभाग यह नहीं बता पाया कि ये 423 अध्यापक डीएलएड अथवा बीएड जैसी जरूरी योग्यता को पूरा करते हैं या नहीं। विभाग यह भी बताने में असफल रहा कि प्रदेश में शास्त्री पदों से जुड़े भर्ती नियमों को एनसीटीई (NCTE) की ओर से 29 जुलाई, 2011 को अधिसूचित नियमों के अनुसार कब तक संशोधित कर लिया। मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने आश्चर्य जताया कि एक दशक बीत जाने पर भी 29 जुलाई, 2011 को एनसीटीई की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार भर्ती नियमों में संशोधन नहीं किया गया। मुख्य सचिव को शपथ पत्र के माध्यम से कोर्ट को यह बताने के आदेश दिए कि राज्य सरकार कब तक भर्ती नियमों में एनसीटीई के नियमानुसार संशोधन करेगी। कोर्ट ने 28 दिसंबर, 2021 को जारी आदेशों के तहत राज्य में शास्त्री के पदों को चाहे बैचवाइज (Batchwise) या हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग के माध्यम से एनसीटीई की ओर से जारी अधिसूचना के खिलाफ भरने पर रोक लगा थी। मामले पर सुनवाई 9 मई, 2022 को होगी।
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हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय की एक एंड्रॉइड आधारित मोबाइल एप्लिकेशन लांच
प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक ने शुक्रवार को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय (Himachal High Court) के एक एंड्रॉइड आधारित मोबाइल एप्लिकेशन को लांच किया। इस अवसर पर न्यायमूर्ति सबीना, न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान, न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर, न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल, न्यायमूर्ति संदीप शर्मा, न्यायमूर्ति चंदर भुसन बारोवालिया, न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ और न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य उपस्थित रहे। इस अवसर पर बोलते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि रजिस्ट्री की कम्प्यूटर शाखा ने एनआईसी के वैज्ञानिकों के सहयोग से हिमाचल प्रदेश के उच्च न्यायालय का एक उपयोगकर्ता के अनुकूल एंड्रॉइड आधारित मोबाइल एप्लिकेशन (Mobile App) विकसित किया है, जिसमें एडवोकेट निर्देशिका, मामले की स्थिति, निर्णय और आदेश जैसी उन्नत सुविधाएं हैं। इसमें वाद सूची, डिजिटल डिस्प्ले (Digital Display), मुफ्त टेक्स्ट सर्च, ई-गेट पासए मेरी डायरी, महत्वपूर्ण निर्णय और जिला न्यायालयों की वेबसाइटों के लिंक आदि जैसे कई विकल्पों के साथ खोजने जैसे सुविधाएं उपलब्ध हैं।
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ऐप में यूजर का फीडबैक लेने की भी सुविधा
उन्होंने कहा कि अनूठी विशेषताओं के साथ, यह मोबाइल ऐप (Mobile App) कुल मिलाकर सबसे अच्छा है, इससे अधिवक्ताओं, वादियों और आम जनता को लाभ होगा। इस ऐप में यूजर (User) का फीडबैक लेने की भी सुविधा है। रजिस्ट्रार जनरल ने इस अवसर पर अतिथियों का स्वागत किया। इस अवसर पर अशोक शर्मा महाधिवक्ता, बलराम शर्मा सहायक सॉलिसिटर जनरल, अजय कोछड़ अध्यक्ष बार काउंसिल ऑफ हिमाचल प्रदेश और लवनीश कंवर अध्यक्ष, एचपी हाईकोर्ट बार एसोसिएशन भी मौजूद रहे। इस अवसर पर उच्च न्यायालय के सभी रजिस्ट्रार और केंद्रीय परियोजना समन्वयक उपस्थित थे। विभिन्न बार संघों के पदाधिकारी और अन्य सदस्य राज्य और जिला न्यायाधीश और राज्य के अन्य न्यायिक अधिकारी वर्चुअल मोड के माध्यम से उपस्थित थे। जसवंत सिंह, कुलसचिव ;प्रशासनद्ध ने इस अवसर पर उपस्थित सभी का धन्यवाद किया।
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