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हिमाचल हाईकोर्ट ने जारी किया प्रदेश सरकार को नोटिस, जाने क्या है मामला
शिमला। हिमाचल हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने किरतपुर-नेरचौक-फोरलेन निर्माण में अवैध डंपिंग के मामले में संज्ञान लिया है। मुख्य न्यायाधीश ए ए सैयद व न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने राज्य सरकार को नोटिस (Notice) जारी कर जवाब तलब किया है। फोरलेन विस्थापित समिति घुमारवीं ने इस मामले को उजागर कर याचिका दायर की है। आरोप लगाया गया है कि किरतपुर नेर चौक फोरलेन निर्माण के दौरान मलबे को अवैध तरीके से जंगलों में फेंका जा रहा है। जिससे जंगलों को काफी नुकसान हो रहा है।
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अदालत को बताया गया कि इस बारे में उन्होंने डीएफओ बिलासपुर (DFO Bilaspur) के पास शिकायत दर्ज की। डीएफओ बिलासपुर ने मामले को प्रधान मुख्य अरण्यपाल के समक्ष रखा और नेशनल हाईवे अथॉरिटी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर से 8,45,000 रुपए का मुआवजा भी वसूला गया। अदालत को बताया गया कि इस बारे राज्य स्तरीय कमेटी ने जांच करने के आदेश दिए थे। लेकिन अभी तक यह जांच पूरी नहीं की गई। याचिकाकर्ता समिति ने अदालत से गुहार लगाई है कि राज्य सरकार को आदेश दिया जाए ताकि जांच को समय पर पूरा किया जाए और अवैध तरीके से जंगलों में फेंके गए मलबे को हटाया जाए। मामले की सुनवाई 3 सप्ताह बाद निर्धारित की गई है।
हिमाचल हाईकोर्ट ने एमबीबीएस में दाखिला के लिए दोबारा मेरिट लिस्ट बनाने के दिए आदेश
हिमाचल हाईकोर्ट ने मेरिट को दरकिनार कर कम अंक वाले उम्मीदवारों को एमबीबीएस (MBBS) में दाखिला दिए जाने को गलत ठहराते हुए मेरिट लिस्ट (Merit List) नए सिरे से बनाने के आदेश जारी किए हैं। हाईकोर्ट ने आकृति शर्मा द्वारा दायर याचिका को स्वीकार करते हुए प्रतिवादी महर्षि मारकंडेश्वर यूनिवर्सिटी, सोलन, महर्षि मारकंडेश्वर मेडिकल कॉलेज व हॉस्पिटल कुमारहट्टी और अटल मेडिकल एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी नेरचौक को आदेश दिए कि वह निजी तौर पर प्रतिवादी बनाए गए तीन उम्मीदवारों की नए सिरे से मेरिट लिस्ट तुरंत जारी करें। प्रार्थी को मेरिट के आधार पर एमबीबीएस कोर्स के लिए महर्षि मारकंडेश्वर मेडिकल कॉलेज में दाखिला दे। हालांकि प्रार्थी को बीडीएस में दाखिला मिल गया था जबकि वह स्टेट कोटे से महर्षि मारकंडेश्वर यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने के लिए मेरिट सूची में थी। मगर कम अंक वाले उम्मीदवारों को महर्षि मारकंडेश्वर मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस कोर्स के लिए दाखिला दे दिया गया। जिसे प्रार्थी ने याचिका के माध्यम से हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी। प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रार्थी की दलीलों को कानूनन सही पाते हुए प्रार्थी की याचिका को स्वीकार कर लिया।
सिरमौर के हाटी समुदाय मामले पर सुनवाई 16 अगस्त तक टली
सिरमौर (Sirmaur) के ट्रांसगिरी क्षेत्र को हाटी समुदाय के नाम पर जनजातीय क्षेत्र घोषित करने के विरोध में दायर याचिका पर प्रदेश हाईकोर्ट में सुनवाई 16 अगस्त के लिए टल गई। मुख्य न्यायाधीश ए ए सैयद व न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ की खंडपीठ के खण्डपीठ के समक्ष इस मामले पर सुनवाई हुई। अनुसूचित जाति संरक्षण समिति जिला सिरमौर ने यह आरोप लगाया है कि उनकी जनसंख्या लगभग 40 फ़ीसदी हैं उन्होंने कभी भी अनुसूचित जनजाति क्षेत्र दर्जा प्राप्त करने बारे कोई भी दावा नहीं किया है। उन्हें सुनवाई का मौका दिए बिना ही ट्रांसगिरी क्षेत्र को जनजातीय क्षेत्र घोषित करने का सरकार ने किस तरह से निर्णय ले लिया।
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