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हिमाचल हाईकोर्ट: पांच लाख रिश्वत लेने के आरोपी की जमानत याचिका पर CBI को नोटिस
Last Updated on January 10, 2023 by sintu kumar
शिमला। हिमाचल हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने परवाणू के एक उद्योगपति से इंश्योरेंस क्लेम के बदले पांच लाख रुपए रिश्वत (Bribe) लेने के आरोपी जेके मित्तल की जमानत याचिका पर सीबीआई को नोटिस (Notice) जारी किया। न्यायाधीश सत्येन वैद्य ने मितल की जमानत याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई के पश्चात यह आदेश दिए। जगदीश मित्तल पर आरोप है कि उसने सहअभियुक्त एनएस सिद्धू से मिलकर उपभोक्ता अदालत के फैसले को लागू करने और आगामी अपील ना करने की एवज में 5 लाख रुपए की रिश्वत (Five Lakh Bribe Case) ली। सीबीआई के अनुसार रिश्वत लेने के पश्चात मामले में नियुक्त सर्वेयर सहअभियुक्त एनएस सिद्धू ने जेके मित्तल को रिश्वत प्राप्ति की जानकारी दी। फिर मित्तल ने ऑफिस स्टाफ को हिदायत दी कि वे शिकायत कर्ता के इंश्योरेंस की राशि का भुगतान कर दें। उल्लेखनीय है कि सीबीआई शिमला की टीम ने न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी के महाप्रबंधक और सर्वेयर को रिश्वत के मामले में 4 जनवरी को गिरफ्तार (Arrest) किया था। कंपनी के महाप्रबंधक जेके मित्तल और सर्वेयर एनएस सिद्धू को सीबीआई शिमला की टीम ने चंडीगढ़ में गिरफ्तार किया था।
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मामले के अनुसार 19 मई 2010 को शिकायतकर्ता के परवाणू स्थित एक उद्योग में आग लग गई थी। न्यू इंडिया कंपनी से इस निजी फैक्ट्री की इंश्योरेंस की गई थी। इंश्योरेंस कंपनी ने क्लेम देने से मना कर दिया था। शिकायतकर्ता ने राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग में इसकी शिकायत की। आयोग ने शिकायत का निपटारा करते हुए इंश्योरेंस कंपनी को आदेश दिए कि वह शिकायतकर्ता को 44 लाख रुपए 9 फीसदी ब्याज सहित अदा कर। 7 नवम्बर 2022 को पारित इन आदेशों पर 8 सप्ताह के भीतर अमल करने को कहा गया था अन्यथा उक्त राशि 12 फीसदी ब्याज सहित देने के आदेश जारी किए गए थे। शिकायतकर्ता ने इन आदेशों के बाद सर्वेयर से बात की।
क्लेम राशि का भुगतान करने की एवज में 12 लाख मांगी थी रिश्वत
आरोप है कि इंश्योरेंस कंपनी के महाप्रबंधक (General Manager of Insurance Company) ने सर्वेयर के माध्यम से उद्योगपति को 44 लाख का क्लेम देने की बात पर सहमति जताई। लेकिन इस रकम के लिए उसने उद्योगपति से मामले में आगामी अपील न करने और जल्दी से क्लेम राशि का भुगतान करने की एवज में 12 लाख रिश्वत की मांग की। शिकायत कर्ता को रिश्वत की बात पसंद नहीं आई और लिखित शिकायत सीबीआई (CBI) के शिमला कार्यालय में की। इसके बाद सीबीआई ने जाल बिछा कर सह आरोपी को रंगे हाथों पकड़ा। सीबीआई अदालत शिमला पहले ही दोनों आरोपियों की जमानत अर्जियां खारिज कर चुकी है।