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हिमाचल हाईकोर्ट ने भूतपूर्व सैनिक कोटे से पुलिस कांस्टेबल भर्ती मामले में DGP को दिए ये आदेश
शिमला। हिमाचल हाइकोर्ट (Himachal High Court) ने भूतपूर्व सैनिक कोटे से पुलिस कॉन्स्टेबलों की भर्ती के मामले (Police Constable Recruitment Case) में पुलिस महानिदेशक को कोर्ट में हलफनामा दायर करने के आदेश दिए। कोर्ट ने उनसे पूछा है कि हाइकोर्ट के आदेशों पर अमल ना करते हुए कैसे नियुक्ति पत्र जारी कर दिए गए। मुख्य न्यायाधीश एए सैयद और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने पुलिस कांस्टेबल की भर्ती में पूर्व सैनिकों (Ex-Servicemen) के लिए आरक्षित पदों बाबत सेवानिवृत्ति की 31 अक्टूबर 2019 से 30 दिसंबर 2020 की कट ऑफ डेट को गैरकानूनी ठहराते हुए रद्द कर दिया था। कोर्ट ने प्रार्थियों की इस दलील को कानूनन सही पाया था कि प्रतिवादियों ने सेवानिवृत्ति की कट ऑफ डेट निर्धारित करते समय उनके साथ अन्याय किया है। क्योंकि वह 31 जनवरी 2018 से 30 सितंबर 2019 के बीच सेवानिवृत्त हुए हैं और उन्हें पुलिस कांस्टेबल भर्ती में भूतपूर्व सैनिकों के लिए आरक्षित पदों के लिए कोई अवसर प्रदान नहीं किया गया। खंडपीठ ने प्रतिवादियो विशेषकर निदेशालय सैनिक वेलफेयर को यह निर्देश दिया कि वह कट ऑफ डेट निर्धारित करने के लिए पुनः नियमों, निर्देशों व दिशानिर्देशों के दृष्टिगत विचार करें। इस बाबत प्रतिवादियों को 2 सप्ताह का समय दिया गया था।
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कोर्ट ने प्रतिवादियो को यह हिदायत भी दी थी कि कट ऑफ डेट निर्धारित करने का फैसला लेते समय न्यायालय द्वारा की गई टिप्पणियों को ध्यान में रखा जाए। प्रदेश उच्च न्यायालय ने कट ऑफ डेट को लेकर सरकार के फैसले पर प्रतिकूल टिप्पणी की थी। कोर्ट ने यह स्पष्ट तौर पर कहा था कि जिन प्रार्थियों को प्रदेश उच्च न्यायालय की ओर से साक्षात्कार में पेश होने व रिक्त पद रखने का संरक्षण प्राप्त हुआ है वह प्रतिवादियों द्वारा लिए जाने वाले निर्णय तक लागू रहेगा। यह नहीं कुछ प्रार्थी जो किसी कारणवश कोर्ट से साक्षात्कार (Interview) में पेश होने बाबत अंतरिम आदेश लेने में विफल रहे थे उन्हें भी उनके आवेदन पर प्रदेश उच्च न्यायालय ने साक्षात्कार में पेश होने की अनुमति प्रदान कर दी। इसके अलावा 2020 में पुलिस भर्ती में भूतपूर्व सैनिकों के लिए आरक्षित पदों के लिए भर्तियां न होने के कारण इन प्रार्थियों को सेवानिवृत्ति की कट ऑफ डेट बढ़ाने बाबत प्रतिवादियों के समक्ष प्रतिवेदन पेश करने की अनुमति प्रदान की थी। एक सप्ताह के भीतर प्रतिवेदन पर निर्णय लेने के आदेश भी पारित किए गए थे। मामले पर 17 अक्टूबर को सुनवाई होगी।
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