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हिमाचल हाईकोर्ट: मुआवजा राशि वितरण में हेराफेरी की तीन माह में जांच के आदेश
शिमला। हिमाचल हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने रेणुका डैम प्रोजेक्ट के निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण की मुआवजा राशि (Compensation Amount) के वितरण में हेरा फेरी के आरोपों की जांच के लिए एसआईटी को तीन माह का समय दिया। उल्लेखनीय है कि न्यायाधीश संदीप शर्मा ने एसपी सिरमौर की अध्यक्षता में एसआईटी का गठन करने के आदेश दिए थे। इस टीम में डीएसपी ददाहु, डीएसपी राजगढ व डीएसपी संगडाह भी शामिल है। मामले के अनुसार एचपीपीसीएल ने रेणुका डैम प्रोजेक्ट (Renuka Dam Project) के लिए 12 हजार बीघा से अधिक भूमि अधिगृहित की है। इसके लिए भू मालिकों को लगभग 2500 करोड़ रुपए बतौर मुआवजा अदा किया जाना है। मामले पर सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि रेणुका जी क्षेत्र में हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के लिए भारी धन राशि का आकलन मुआवजे के रूप में गरीब और अनपढ़ भू मालिकों को देने के लिए किया गया। रेणुका जी डैम प्रोजेक्ट की ओर से कोर्ट को बताया गया कि कुछ दलालों ने वकीलों और राजस्व कर्मियों सहित बैंक कर्मियों से मिलीभगत कर वास्तविक भू मालिकों के साथ घोटाला (Scam) किया है और गरीबों की भारी रकम हड़प ली है। वास्तविक भू मालिकों को यह भी नहीं बताया गया कि उनकी भूमि का कितना मुआवजा उनके पक्ष में तय हुआ है। इतना ही नहीं फर्जी बैंक अकाउंट खुलवाकर और अदालतों में फर्जी आवेदन दायर कर मुआवजा राशि निकलवा लेने के आरोप भी कुछ भू मालिकों ने लगाए हैं। कोर्ट ने इन सभी तथ्यों के मद्देनजर पूरे घोटाले की व्यापक जांच दो महीने में पूरी कर सील्ड कवर में कोर्ट के समक्ष रखने के आदेश जारी किए थे। टीम की ओर से अतिरिक्त समय के आग्रह पर हाई कोर्ट ने तीन माह का अतिरिक्त समय दे दिया।
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अवैध खनन मामले में आरोपी लखविंदर सिंह की जमानत याचिका की सुनवाई टली
हिमाचल हाईकोर्ट (Himachal High Court) के समक्ष ऊना (Una) जिले में अवैध खनन (Illegal Mining) के कथित मुख्य आरोपी लखविंदर सिंह की जमानत याचिका (Bail Application) पर सुनवाई टल गई है। गुरुवार को याचिका पर सुनवाई पूरी न होने के कारण न्यायाधीश संदीप शर्मा ने आगामी सुनवाई 10 नवंबर को निर्धारित की है। याचिका में दलील दी गई है कि पंजाब के मोहाली निवासी लखविंदर सिंह (Lakhwinder Singh) पर अवैध खनन के झूठे आरोप लगाए गए हैं। अभी मामले पर प्रवर्तन निदेशालय प्रारंभिक जांच कर रहा है। ऐसे में याचिकाकर्ता को सीमित समय के लिए गिरफ्तार करना उचित नहीं है। याचिकाकर्ता ने उसे जमानत पर रिहा करने की गुहार लगाई है।
ऊना में अवैध खनन की जांच का जिम्मा हिमाचल पुलिस ने प्रवर्तन निदेशालय को सौंपा था। ईडी ने मैसर्स लखविंदर सिंह स्टोन क्रशर, मानव खन्ना, नीरज प्रभाकर, विशाल उर्फ विक्की के ऊना, मोहाली, पंचकूला और अन्य ठिकानों पर दबिश दी थी। इस दौरान 15 लाख की नगदी समेत कई अहम दस्तावेज कब्जे में लिए गए हैं। प्रवर्तन निदेशालय की जांच के मुताबिक स्वां नदी में आरोपियों ने 35 करोड़ के अवैध खनन का कारोबार किया है। गत 28 सितंबर को कथित आरोपी लखविंदर सिंह को धन शोधन निवारण अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया गया था। दिल्ली में इमिग्रेशन विभाग ने उसे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से हिरासत में लिया था। ईडी के अनुसार आरोपी के ऊना जिले में कई खनन पट्टे और स्टोन क्रशर हैं और वह अवैध खनन की आय का मुख्य लाभार्थी है।