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हिमाचल हाईकोर्ट ने पंजाब के शिक्षण संस्थान को जुर्माने की राशि जमा करवाने के दिए आदेश
शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal High Court ) ने पंजाब के शिक्षण संस्थान (Punjab Educational Institution)को जुर्माने के 16.46 लाख रुपए जमा करवाने के दिए आदेश दिए है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश विरेंदर सिंह की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि जुर्माने की राशि जमा करवाने पर ही मामले पर सुनवाई की जाएगी। पंजाब के निजी शिक्षण संस्थान एनसीएफएससी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस को हाईकोर्ट से फिलहाल कोई राहत नही मिली है।
नियमों के विपरीत एनटीटी कोर्स करवाने पर लगाया था 16.46 लाख रुपए जुर्माना
याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार नियमों के विपरीत एनटीटी के कोर्स (NTT Courses) करवाने के लिए आयोग ने संस्थान पर 16.46 लाख रुपए का जुर्माना लगाया था। हिमाचल में एनसीटीई नियमों के विपरीत कोर्स करवाने पर राज्य निजी शिक्षा नियामक आयोग (State Private Education Regulatory Commission) ने कार्यवाही की। आयोग ने प्रारंभिक शिक्षा निदेशक को संस्थान के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवाने के भी आदेश भी दिए। आयोग के इन आदेशों के खिलाफ संस्थान हाईकोर्ट के समक्ष आया है । प्रार्थी के अनुसार आयोग का फैसला तथ्यों के विपरीत है। राज्य निजी शिक्षा नियामक आयोग की ओर से दलील दी थी कि आयोग का फैसला तथ्यों पर आधारित है। कोर्ट को बताया गया कि संस्थान ने हिमाचल में 60 से अधिक एनटीटी के कोर्स करवाने के लिए छात्रों से फीस वसूली है। जबकि, संस्थान ने राज्य सरकार से कोर्स करवाने के लिए जरूरी अनापत्ति प्रमाण पत्र और स्वीकृति नही ली है। कोर्ट के ध्यान में लाया गया कि आयोग ने पहले संस्थान पर 34.05 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। जिसे आयोग ने संस्थान की पुनर्विचार याचिका स्वीकार करते हुए 16.46 लाख रुपये कर दिया है। याचिकाकर्ता संस्थान ने कोर्ट से आयोग के निर्णय को निरस्त करने की गुहार लगाई है।
सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे के मामले में हाईकोर्ट ने कड़ा संज्ञान लिया
सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे (Illegal Encroachment of Govt land) के मामले में हाईकोर्ट ने कड़ा संज्ञान लिया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने ठियोग निवासी रमेश ठाकुर द्वारा दायर जनहित याचिका की प्रारम्भिक सुनवाई के दौरान प्रधान सचिव वन व अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी किए। कोर्ट ने तीन सप्ताह के भीतर सभी प्रतिवादियों से जबाब तलब किया है। याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार यह आरोप है कि प्रतिवादी रोशन लाल, धनी राम और चेत राम ने गांव शरमालटू में सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा किया हुआ है। धनी राम और चेत राम ने सरकारी भूमि से 30 हरे पेड़ों को काट दिया है और काटी गई लकड़ी का इस्तेमाल जमीन को बाड़ा लगाने के लिए किया गया है। यहीं नही कोर्ट ने चेत राम के खिलाफ बेदखली आदेश भी पारित किए गए है। वन अधिकारियों की मिलीभगत के कारण अभी भी वह अवैध कब्जा जमाये हुए है।
वन अधिकारियों की मिलीभगत के कारण जमाया अवैध कब्जा
आरोप है कि निजी प्रतिवादियों के पास बंदूक का लाइसेंस होने के कारण वो स्थानीय लोगों को डराते है। डर की वजह से कोई भी उनकी शिकायत नहीं कर पाता है। कोर्ट को बताया गया कि प्रार्थी ने इस बाबत वन व पुलिस अधिकारियों से शिकायत की। लेकिन इनके खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं की गई। प्रार्थी ने सरकारी भूमि से अवैध कब्जे छुड़ाने बारे उचित आदेश पारित करने की मांग की है। याचिका में प्रधान सचिव वन सहित मुख्य अरण्यपाल, खंड वन अधिकारी, वनरक्षक शमराला, उपायुक्त एवं एसपी शिमला, एसएचओ ठियोग, रोशन लाल, धनी राम और चेत राम को प्रतिवादी बनाया है। मामले पर सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी।