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हिमाचल हाईकोर्ट के आदेश: 8 साल की सेवाओं के बाद नियमित होंगे दैनिक वेतन भोगी
Last Updated on July 26, 2022 by Vishal Rana
शिमला। हिमाचल हाईकोर्ट (Himachal HighCourt) ने बागवानी विभाग में कार्यरत दैनिक वेतन भोगी (Daily Wage) की सेवाओं को आठ वर्ष के बाद नियमित करने के आदेश पारित किए हैं। न्यायाधीश सत्येन वैद्य ने अपने आदेशों में स्पष्ट किया कि दैनिक वेतन भोगी को राज्य सरकार की वर्ष 2009 की नीति के तहत नियमित किया जाए। उसे वित्तीय लाभ भी दिए जाएं। जिला कांगड़ा निवासी विक्रम सिंह फल प्रसंस्करण एवं प्रशिक्षण केंद्र नूरपुर में वर्ष 2001 से दैनिक वेतन भोगी के पद पर कार्यरत हैं। वर्ष 2016 में उसने प्रशासनिक प्राधिकरण के समक्ष याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता ने अदालत से आग्रह किया था कि उसकी सेवाओं को नियमित किया जाए।
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प्रशासनिक प्राधिकरण के बंद होने पर मामला प्रदेश हाईकोर्ट में स्थानांतरित किया गया। मामले पर सुनवाई के दौरान अदालत के समक्ष दलील दी गई कि याचिकाकर्ता वर्ष 2001 से दैनिक वेतन भोगी के पद पर कार्य कर रहा है। विभाग ने अभी तक उसकी सेवाएं नियमित नहीं की हैं। प्रतिवादियों की ओर से अदालत को बताया गया कि याचिकाकर्ता को सिर्फ घंटों के आधार पर ही नौकरी पर रखा गया है। ऐसे में वह नियमित सेवाओं का हकदार नहीं है। अदालत ने मामले से जुड़े रिकॉर्ड का अवलोकन करने के बाद पाया कि याचिकाकर्ता विभाग में घंटों के आधार पर नहीं बल्कि दैनिक वेतन भोगी के पद पर कार्य कर रहा है। वह अपनी सेवाओं को नियमित करने का हक रखता है।
जंगी-थोपन-पोवारी प्रोजेक्ट पर हिमाचल हाईकोर्ट ने दिया बड़ा फैसला
वहीं हिमाचल हाईकोर्ट से राज्य सरकार को मैसर्स अदाणी पावर लिमिटेड द्वारा जंगी-थोपन-पोवारी विद्युत परियोजना (Jangi-Thopan-Powari Power Project) के लिए जमा की गई लगभग 280 करोड़ रुपए की अग्रिम प्रीमियम राशि को वापिस करने के आदेशों पर फिलहाल रोक लगाने से इंकार कर दिया। हाईकोर्ट की एकल पीठ ने गत 12 अप्रैल को जारी फैसले में सरकार को आदेश दिए थे कि वह 4 सितंबर, 2015 को कैबिनेट द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार दो महीने की अवधि में यह राशि वापस करे। एकल पीठ ने यह आदेश मेसर्स अदाणी पावर लिमिटेड द्वारा दायर याचिका पर पारित किये थे और यह आदेश भी दिए थे कि यदि सरकार यह राशि दो माह के भीतर प्रार्थी कंपनी को वापिस करने में विफल रहती है तो उसे 9 फीसदी सालाना ब्याज सहित यह राशि अदा करनी होगी। 12 अप्रैल को पारित इस फैसले को सरकार ने अपील के माध्यम से खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी है। मुख्य न्यायाधीश एए सैयद व न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने सरकार की ओर से अपील दाखिल करने में की गई 22 दिनों की देरी को नजरंदाज करने के सरकार के आवेदन पर कंपनी को नोटिस जारी किया। खंडपीठ ने एकल पीठ के आदेशों पर रोक लगाने से फिलहाल इंकार कर दिया है। अदानी कंपनी द्वारा विशेष सचिव (विद्युत) के 7 दिसंबर, 2017 को जारी पत्राचार को हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर कर चुनौती दी थी।
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