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Himachal हाईकोर्ट ने HPU में मौजूदा सत्र में बिना एंट्रेंस टेस्ट दाखिले को ठहराया गैरकानूनी
Last Updated on January 8, 2021 by Deepak
शिमला। प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी (HPU) द्वारा एंट्रेंस टेस्ट आधारित कोर्सों में मौजूदा सत्र में बिना एंट्रेंस टेस्ट के दाखिलों को मनमाना व गैरकानूनी ठहराया है, लेकिन कोर्ट ने दाखिला ले चुके छात्रों के भविष्य को देखते हुए दाखिले (Admission) को रद्द करने से इनकार कर दिया। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने मामले का निपटारा करते हुए यूनिवर्सिटी प्रशासन को आदेश दिए कि वह एक सप्ताह के भीतर पूरा मामला एक्जीक्यूटिव काउंसिल के समक्ष रखे। उसके बाद 3 सप्ताह के भीतर कोर्ट नेएक्जीक्यूटिव काउंसिल (Executive council) को भी मामले से जुड़े सभी पहलुओं पर उचित निर्णय लेने को कहा है। यह निर्णय चाहे दोषी कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई का हो या भविष्य में कोरोना महामारी जैसे हालातों को देखते हुए छात्रों के दाखिलों के तौर तरीकों से जुड़ा हो। कोर्ट (Court) ने यह सारा मामला एक सप्ताह के भीतर यूजीसी के समक्ष रखने के आदेश भी दिए।
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मामले के अनुसार प्रार्थी शिवम ठाकुर ने एंट्रेंस टेस्ट आधारित कोर्सेज में बिना एन्ट्रेंस टेस्ट लिए दाखिलों को गैरकानूनी ठहराए जाने व दाखिलों को रद्द करने की मांग की थी। यूनिवर्सिटी (University) का कहना था कि कोरोना संकट को देखते हुए व यूजीसी (UGC) की समय सीमा को ध्यान में रखते हुए सत्र 20.21 के लिए कुछ कोर्सों के दाखिले एंट्रेंस टेस्ट की बजाय अंतिम परीक्षा में मेरिट के आधार पर करवाए गए। कोर्ट ने पाया कि यूनिवर्सिटी के पास पर्याप्त समय था कि वह यूजीसी द्वारा तय समय सीमा के भीतर एन्ट्रेंस टेस्ट (Entrance Test) करवाकर दाखिले कर सकती थी। कोर्ट ने यह भी पाया कि यूनिवर्सिटी ने वर्ष 1990 के दौरान कुछ कोर्सेज में दाखिले एन्ट्रेंस टेस्ट द्वारा ही करवाये जाने का निर्णय लिया था जो आज तक लागू है। फिर भी उस निर्णय में बिना बदलाव किए इस बार बिना एन्ट्रेंस टेस्ट के दाखिले दे दिए गए जो न केवल मनमाना है बल्कि गैरकानूनी भी है।
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