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बंदरों, कुत्तों से निपटने के लिए हिमाचल हाईकोर्ट ने एनिमल वेलफेयर बोर्ड से मांगा सुझाव
शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने बंदरों के उत्पात और कुतों के आतंक (Monkey Menace and Curb Stray Dogs ) से निपटने के लिए एनिमल वेलफेयर बोर्ड (Animal Welfare Board) को व्यवहारिक सुझाव देने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने उपरोक्त सुझाव राज्य सरकार को देने के आदेश देते हुए कहा कि प्रदेश में बंदर और कुत्ते प्राचीन समय से है और इनके उत्पात और आतंक की वजह से अब प्रदेश के नागरिकों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
हाईकोर्ट ने प्रदेश भर के शहरों और ग्रामीण इलाकों में बंदरों के उत्पात और आवारा कुत्तों के आंतक से बचाव से जुड़े मुद्दों को लेकर लंबित जनहित याचिकाओं में केन्द्र सरकार के स्वामित्व वाले पशु कल्याण बोर्ड को पक्षकार बनाया था। मुख्य न्यायाधीश एम.एस. रामचंद्र राव और न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ को महाधिवक्ता ने आश्वस्त किया कि प्रदेश सरकार और नगर निगम शिमला (Shimla MC) मिलकर पशु चिकित्सा शाखा वाले पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय से भी इस बारे में परामर्श करेंगे। विश्वविद्यालय से इनपुट साझा कर बंदरों के उत्पात को नियंत्रित और कुतों के आतंक को दूर करने के हरसंभव प्रयास किए जाएंगे। कोर्ट ने यह आदेश विभिन्न जनहित याचिकाओं की सुनवाई करने के पश्चात पारित किए।
इन संस्थाओं से भी मांगा सुझाव
कोर्ट ने पशु कल्याण बोर्ड, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय (पशुपालन और डेयरी विभाग) के सचिव, फरीदाबाद, हरियाणा के माध्यम से शिमला शहर में बंदरों के खतरे से निपटने के लिए सुझाव देने के निर्देश दिए है। पिछली सुनवाई को कोर्ट ने एडवोकेट जनरल को सलाह दी थी कि वे अन्य निकायों जैसे कि तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (Tirumala Tirupati Devasthanam), चित्तूर जिला, आंध्रप्रदेश से भी परामर्श कर सकते हैं। कोर्ट ने कहा था कि तिरुपति मंदिर परिसर में बंदरों के खतरे का सफलतापूर्वक उन्मूलन कर दिया गया है। मामले की सुनवाई 18 सितम्बर को निर्धारित की गई है।
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