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हिमाचल हाईकोर्ट ने जेओए और लाइब्रेरियन के पदों के लिए जारी किया नोटिस
शिमला। हिमाचल के सरकारी स्कूलों में जूनियर ऑफिस असिस्टेंट (JOA) और लाइब्रेरियन के दो हजार से ज्यादा खाली पदों को उजागर करने वाले पत्र पर प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने कड़ा संज्ञान लिया है। मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ ने तातापानी निवासी प्रताप सिंह ठाकुर की ओर से मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice) के नाम लिखे पत्र पर संज्ञान लिया है। खंडपीठ ने प्रदेश के मुख्य सचिव सहित प्रधान सचिव शिक्षा को नोटिस (Notice) जारी कर तीन सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया है। पत्र के माध्यम से आरोप लगाया गया है कि सरकारी स्कूलों में जूनियर ऑफिस असिस्टेंट और लाइब्रेरियन (Librarian) के दो हजार से ज्यादा पद खाली पड़े हैं।
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सरकारी स्कूलों में इन पदों के खाली रहते बच्चे निजी स्कूलों की तरफ रुख कर रहे हैं। यह भी आरोप लगाया गया है कि गरीब लोग निजी स्कूलों (Private Schools) की फीस नहीं दे पाते और सरकारी स्कूलों में पुस्तकालय न होने की वजह से बच्चे प्रतियोगी परीक्षाओं (Competitive Exams) में फेल हो जाते हैं। पत्र के माध्यम से गुहार लगाई है कि राज्य सरकार को सरकारी स्कूलों में जूनियर ऑफिस असिस्टेंट और लाइब्रेरियन के पद भरने के आदेश दिए जाए। मामले की सुनवाई तीन सप्ताह के बाद निर्धारित की गई है।
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हिमाचल सरकार से मांगा जवाब
प्रदेश हाईकोर्ट ने विधायक बिक्रम सिंह जरयाल (MLA Bikram Singh Jaryal) को चीफ व्हिप व कमलेश कुमारी को उप मुख्य सचेतक के पद पर नियुक्ति देने के मामले में राज्य सरकार से 3 सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया है। मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक व न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ ने टेक चंद व अन्य तीन प्रार्थियों की ओर से दायर आवेदनों को स्वीकारते हुए उपरोक्त आदेश पारित किए। प्रार्थियों ने सचेतक के वेतन भत्ते और अन्य सुविधाएं अधिनियम 2018 को असंवैधानिक घोषित करने की गुहार लगाई है। प्रार्थियों ने इनकी नियुक्तियों से जुड़ी अधिसूचना संबंधी आदेशों को रद्द करने की भी मांग की है।
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याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164 में किए गए संशोधन के मुताबिक किसी भी प्रदेश में मंत्रियों की संख्या विधायकों (MLAs)की कुल संख्या का 15 फ़ीसदी से अधिक नहीं हो सकती। राज्य सरकार ने सैलरी एलाउंसेस एंड अदर बेनिफिट्स ऑफ चीफ व्हिप एंड डिप्टी चीफ व्हिप इन लेजिसलेटिव असेंबली ऑफ हिमाचल प्रदेश एक्ट 2018 बनाया है, जिसके तहत मुख्य सचेतक व उप मुख्य सचेतक की नियुक्ति करने बाबत प्रावधान बनाया गया है। इन्हें कैबिनेट मंत्री (Cabinet Minister) का दर्जा प्रदान करने का प्रावधान बनाया गया है। मंत्रियों के लिए निर्धारित की गई सीमा पूरी करने के पश्चात यह पद निर्धारित संख्या से ज्यादा हो गया हैं। सचेतक का पद मंत्री के पद के बराबर है, हालांकि उसे मंत्री नहीं कहा जाता मगर उसे सभी वही सुविधाएं प्रदान की जाती है जो एक मंत्री को प्रदान की जाती है। प्रार्थियों ने सरकारी सचेतकों की नियुक्ति को भारतीय संविधान के प्रावधानों के विपरीत ठहराते हुए इन्हें रदद करने की गुहार लगाई है।
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नीरज ठाकुर ने हाईकोर्ट से वापस ली जमानत याचिका
शराब के अवैध कारोबार के कथित आरोपी नीरज ठाकुर (Neeraj Thakur) ने प्रदेश हाईकोर्ट से अपनी जमानत याचिका वापस ले ली है। नीरज ठाकुर के होटल से भारी मात्रा में शराब की अवैध खेप बरामद हुई थी। सुंदरनगर उपमंडल की सलापड़ व कांगू पंचायत में जहरीली शराब (liqueur) के सेवन से सात लोगों की मौत के मामले में नीरज ठाकुर तीन माह से न्यायिक हिरासत में है।
उल्लेखनीय है कि जहरीली शराब के सेवन से सात लोगों की मौत हो गई थी। शराब माफिया ने हिमाचल प्रदेश में बनने वाली संतरा ब्रांड शराब के लेवल से छेड़छाड़ कर नकली शराब तैयार करके लोगों को परोसी थी। मंडी पुलिस (Mandi Police) को संतरा ब्रांड के दो लेवल वाली शराब हाथ लगी थी। एक में कंपनी के नाम के साथ फूड्स तो दूसरी में फूलस लिखा था। डीआईजी मंडी (DIG Mandi) रेंज मधू सूदन की अध्यक्षता में गठित विशेष जांच टीम (एसआईटी) इस मामले की जांच कर रही है। विशेष जांच टीम ने आरोपी नीरज ठाकुर के ठेके में कई तरह की अनियमितताएं पाई थी।
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