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हिमाचल हाईकोर्ट ने खारिज किया निचली अदालत का फैसला, आरोपी को लौटाई जब्त की करंसी
शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal High Court ) ने आपराधिक मामले में जब्त की गई करंसी (Seized Currency) नोटों को लौटाने के मामले में स्पष्ट किया कि कई वर्षों तक करंसी नोट, सोने-चांदी के आभूषण या कीमती पत्थरों से जड़ित वस्तुएं इत्यादि को मालखाने में रखने का कोई फायदा नहीं है। अदालतों द्वारा इन कीमती वस्तुओं का कानूनन पंचनामा पाए जाने की सूरत में आरोपी अथवा वास्तविक मालिक को सौंपा जा सकता है। न्यायाधीश संदीप शर्मा ने चरस (Charas) के साथ पकडे 1.5 लाख रुपए के करंसी नोट को वापिस करने के आदेश देते हुए यह निर्णय सुनाया।
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मामले के अनुसार सुन्नी निवासी तिलक राम के घर से पुलिस ने 153 ग्राम चरस बरामद की थी। यह चरस एक थैले की जेब में रखी हुई थी। दूसरी जेब से 1.5 लाख रुपए के नोट जब्त किए थे। पुलिस ने अंदेशा जताया था कि यह राशि चरस के कारोबार से कमाई गई है। इस राशि को छुड़ाने के लिए आरोपी ने निचली अदालत के समक्ष आवेदन दायर किया था। जिसे निचली अदालत ने खारिज कर दिया था। इन आदेशों को आरोपी ने हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी। हाईकोर्ट ने निचली अदालत के निर्णय (Lower Court Decision) को खारिज करते हुए प्रार्थी को करंसी नोट लौटाने का फैसला सुनाया। कोर्ट ने पाया कि पुलिस ने करंसी नोट जब्त करने का पंचनामा सही ढंग से तैयार किया है। अत इसे अदालत में अन्य साक्ष्यों के साथ साबित किया जा सकता है। अदालत ने कहा कि आरोपी के खिलाफ चलाए गए अभियोग को निपटाने के लिए वर्षों का समय लग सकता है। इतने समय तक इस राशि को कब्जे में रखना उचित नहीं है।
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