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अदालत के आदेशों की अवहेलना करने पर हाईकोर्ट सख्त, ट्रेजरी ऑफिसर तलब
Last Updated on December 29, 2022 by sintu kumar
शिमला। हिमाचल हाईकोर्ट ( Himachal High Court) ने अदालती आदेशों की अनुपालना न करने पर शिमला के ट्रेजरी ऑफिसर( Treasury officer) को कोर्ट के समक्ष तलब किया है। साथ ही उससे पूछा है कि अदालती आदेशों की अवहेलना करने प हिमाचल हाईकोर्टर क्यों ना उसके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही चलाई जाए। कोर्ट ने प्रार्थी के सभी वितीय सेवा लाभों को 24 घंटे के भीतर अदा करने की भी आदेश जारी किए हैं। पिछली सुनवाई के दौरान न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश विरेंदर सिंह की खंडपीठ ने आबकारी एवं कराधान सचिव व आयुक्त को आदेश जारी किए थे कि वह ट्रिब्यूनल के आदेशों की अनुपालना 12 दिसंबर 2022 से पहले पहले करें। आबकारी एवं कराधान विभाग की ओर से प्रार्थी को दिए जाने वाले सभी वित्तीय लाभों के भुगतान करने के लिए बिल ट्रेजरी विभाग को भेजा लेकिन ट्रेजरी ऑफिसर ने अपने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर प्रार्थी को 3 वर्ष से अधिक की सेवा लाभ दिए जाने पर आपत्ति जताई। हाईकोर्ट ने इसे अदालती आदेशों की अवमानना का मामला पाया और ट्रेजरी ऑफिसर के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई चलाने के लिए उपरोक्त आदेश पारित कर दिए।
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याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार 16 नवंबर 2016 को तत्कालीन प्रशासनिक प्राधिकरण ने प्रार्थी की याचिका को स्वीकार करते हुए वर्ष 1974 में बनाए गए भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के तहत पदोन्नति लाभ देने के आदेश जारी किए थे। वितीय लाभ भी पदोन्नति की तारीख से दिए जाने के आदेश जारी किए थे । ट्रिब्यूनल के आदेशों के अनुपालना में प्रार्थी को 22 जुलाई 1994 से वरिष्ठ सहायक के पद पर , 20 फरवरी 2006 से अधीक्षक ग्रेड 2 के पद पर व 12 अगस्त 2009 से आबकारी एवं कराधान अधिकारी के तौर पर पदोन्नत तो कर दिया गया मगर उस को दिए जाने वाले वित्तीय लाभ उसके द्वारा दायर की गई याचिका के पिछले 3 सालों से देने का निर्णय लिया। प्रार्थी ने इस निर्णय के खिलाफ प्रतिवादियों को प्रतिवेदन भेजा मगर प्रार्थी द्वारा वर्ष 2022 में दायर की गई अनुपालना याचिका के पश्चात 29 अक्टूबर 2022 को उसके प्रतिवेदन को यह कहकर खारिज कर दिया कि वित्त विभाग द्वारा जारी किए गए निर्देशानुसार वह केवल 3 साल के ही वित्तीय लाभ लेने का हक रखता है।
प्रदेश उच्च न्यायालय ने हैरानी जताई थी कि आबकारी एवम कराधान आयुक्त प्रशासनिक प्राधिकरण के निर्णय को दबा कर बैठ गया जबकि प्रशासनिक प्राधिकरण ने अपने आदेशों में कहीं भी ऐसा नहीं लिखा था कि प्रार्थी के वित्तीय लाभों को केवल 3 साल के लिए ही मान्य किया गया है। हाईकोर्ट ने अपने आदेशों में यह स्पष्ट किया था कि 12 दिसंबर 2022 से पहले पहले प्रशासनिक प्राधिकरण के आदेशों की अनुपालना की जाए , नहीं तो दोनों प्रतिवादीगण उनके खिलाफ अदालती आदेशों की अवहेलना के लिए चलाए जाने वाली कार्रवाई के लिए कोर्ट के समक्ष पेश हो। जब अवमानना की कार्रवाई के डर से विभाग ने प्रार्थी के सभी सेवा लाभ देने के आदेश पारित कर बिल ट्रेजरी ऑफिस के लिए भुगतान के लिए भेजा तो ट्रेजरी ऑफिस में 3 साल से अधिक की सेवा लाभ दिए जाने पर आपत्ति जताई और प्रार्थी के वित्तीय लाभ अदा करने से स्पष्ट तौर पर मना कर दिया ।मामले पर सुनवाई 2 जनवरी को होगी।