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शिमला। राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर (Governor Rajendra Vishwanath Arlekar) ने गुरुवार को शिमला के समीप आदर्श केन्द्रीय कारागार कंडा में हिमाचल प्रदेश कारागार एवं सुधारात्मक सेवाएं विभाग की सात नई योजनाओं का शुभारंभ किया। इनमें ध्यान कार्यक्रम, टेलीमेडिसिन परियोजना, वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम, अपशिष्ट प्रबंधन, निःशुल्क ऑनलाइन कोचिंग, ऑडियो लाइब्रेरी और कविता संग्रह परवाज का विमोचन शामिल हैं।
इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि कारागृह में बंदियों (Prison) का हुनर देखना उनके लिए भावुक कर देने वाला क्षण है। उन्होंने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, कारागार एवं सुधारात्मक सेवाएं सतवंत अटवाल के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि कारागृह को सुधार गृह में परिवर्तित करने का प्रयास सकारात्मक कदम है। उन्होंने कहा कि बंदियों के भी विचार और भावनाएं होती हैं। उनके यहां आने का कारण दुर्भाग्यपूर्ण है। लेकिन, उनका समय यहीं खत्म नहीं होता। भविष्य के लिए नई उम्मीदें उनका इंतजार कर रही हैं।
Governor Himachal Pradesh
राज्यपाल ने उनसे भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए सक्षम बनने की अपील की। राज्यपाल ने कहा कि बंदियों के यहां आने का जो भी कारण हो, वे यहां सीखने, प्रयोग करने, प्रशिक्षित होने और सकारात्मक विचारों के साथ आगे बढ़ने के लिए हैं। उन्होंने कहा कि यह सुधार गृह है इसलिए बंदियों के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इन कार्यक्रमों को अपनाने से न केवल उन्हें बल्कि समाज को भी लाभ होगा। इस अवसर पर बंदियों ने आकर्षक सांस्कृतिक कार्यक्रम (Cultural Programme) प्रस्तुत किया। इससे पूर्व, राज्यपाल ने ट्रान्सेंडैंटल ध्यान कार्यक्रम एवं प्रशिक्षण का शुभारंभ किया, जिसे कि ट्रान्सेंडैंटल ध्यान संस्थान द्वारा क्रियान्वित किया जाएगा।
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उन्होंने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा ई-संजीवनी के माध्यम से कारागृहों में टेलीमेडिसिन कार्यक्रम (Tele Medicine Program) भी शुरू किया। इस कार्यक्रम में विशेषज्ञ चिकित्सक बंदियों को ऑनलाइन परामर्श देंगे। उन्होंने भारतीय रिजर्व बैंक के सहयोग से बंदियों के लिए एक वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम भी शुरू किया। वेस्ट वॉरियर्स सोसाइटी धर्मशाला के सहयोग से कारागार विभाग ने अपशिष्ट प्रबंधन के लिए वेस्ट अंडर अरेस्ट प्रोग्राम के तहत धर्मशाला में एक अपशिष्ट प्रबंधन इकाई भी स्थापित की है। प्रदेश के अन्य सभी कारागृहों में भी ऐसी इकाइयां संचालित की जाएंगी। इन इकाइयों में द्विआयामीय रणनीति होगी। बंदियों को कचरे का पृथीकरण करना सिखाया जाएगा और अन्य को अपशिष्ट अपसाइक्लिंग तकनीक जैसे कि हरे कचरे से वर्मीकम्पोस्टिंग और टेट्रा पैक से बोर्ड बनाना सिखाया जाएगा। राज्यपाल ने इस सोसायटी के सहयोग से कारागार में कचरा प्रबंधन प्रणाली की शुरूआत भी की।
उन्होंने स्माइल फाउंडेशन के सहयोग से बंदियों के बच्चों के लिए निःशुल्क ऑनलाइन कोचिंग (Free Online Coaching) का शुभारंभ भी किया। विभिन्न कारणों से किताबें न पढ़ सकने वाले बंदियों के लिए एक ऑडियो लाइब्रेरी भी शुरू की गई। इसके उपरान्त, राज्यपाल ने कंडा कारागृह में पौधारोपण भी किया। उन्होंने बंदियों द्वारा निर्मित किए जाने वाले विभिन्न विभिन्न उत्पादों की इकाइयों का निरीक्षण भी किया।
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