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हिमाचल हाईकोर्ट: मृकुला देवी मंदिर की पौराणिक नक्काशी बदलने पर पुरातत्वविद अधीक्षक किए तलब
शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal High Court ) ने मृकुला देवी मंदिर (Mrikula Devi Temple) की पौराणिक नक्काशी बदलने पर पुरातत्वविद अधीक्षक को तलब किया है। मुख्य न्यायाधीश एए सैयद और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ ने उन्हें स्पष्टीकरण के लिए सोमवार को अदालत के समक्ष पेश होने के आदेश दिए है। केंद्र सरकार ने इस मामले के रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष पेश की है। केंद्र सरकार ने रिपोर्ट के माध्यम से अदालत को बताया कि मंदिर के जीर्णोद्घार के लिए ठेकेदार को काम सौंपा गया है। मंदिर की मुरम्मत का कार्य शुरू कर दिया गया है। कोर्ट मित्र ने अदालत को बताया कि मुरम्मत करते समय मंदिर की पौराणिक नक्काशी बदली जा रही है। मंदिर के अंदर के हिस्से की मुरम्मत नहीं की गई है। अंदर से मंदिर की दीवारों में दरारें आ चुकी है। पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने मंदिर को मुरम्मत के लिए ठेकेदार के हवाले किया है। ठेकादार अपनी मर्जी से मुरम्मक कार्य कर रहा है, जिससे पौराणिक नक्काशी (Mythological Carvings) नष्ट हो रही है।
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अदालत ने मंदिर भवन के जीर्णोद्धार के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को विशेष टीम गठित करने के आदेश जारी किए थे। सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) कुल्लू (Kullu) द्वारा बताया गया है कि मंदिर के दोनों हिस्सों के बीच की छत झुकी हुई है और कभी भी गिर सकती है। लकड़ी का एक पुराना खंभा फट रहा है। छत का बाहरी हिस्सा भी गिर रहा है, मंदिर का रंग पुरातत्व विभाग ने फिर से रंगने के लिए हटा दिया था लेकिन उसके बाद मंदिर को बिल्कुल भी रंग नहीं किया गया है। उन्होंने आगे कहा है कि उक्त मंदिर की सुरक्षा वर्ष 1989 में पुरातत्व विभाग ने अपने हाथ में ले ली थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र अधिवक्ता वंदना मिश्रा ने माता मृकुला देवी मंदिर की कई तस्वीरें प्रस्तुत कीं थी, जिससे पता चलता है कि मंदिर जीर्ण-शीर्ण स्थिति में है। मंदिर की छत अस्थायी रूप से लकड़ी के तख्तों के उपयोग से समर्थित है, चारों तरफ की दीवारों में दरारें हैं। प्रतिवादी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा मंदिर को संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है। कोर्ट मित्र ने मंदिर के पुजारी के साथ जो बातचीत की, उसके अनुसार अगर तत्काल मरम्मत नहीं की गई तो यह मंदिर कभी भी गिर सकता है।
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