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हिमाचल हाईकोर्ट : 6 बेटों में से केवल एक बेटे पर माता पिता को गुजारा भत्ता देने के आदेश गलत
शिमला। हिमाचल हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने 6 बेटों में से केवल एक बेटे पर माता पिता को गुजारा भत्ता देने के आदेशों को अन्यायपूर्ण ठहराते हुए उसे 5000 रुपए मासिक से घटा कर 3000 रुपए करने के आदेश दिए। न्यायाधीश सत्येन वैद्य ने फैमिली कोर्ट हमीरपुर के आदेशों में संशोधन करते हुए यह आदेश पारित किए। मामले के अनुसार फैमिली कोर्ट हमीरपुर (Family Court Hamirpur) ने प्रार्थी मान सिंह को अपने माता पिता के गुजारा भत्ते संबंधी याचिका की सुनवाई के दौरान दोनों को 5000 रुपए मासिक अंतरिम भत्ता देने के आदेश दिए थे। प्रार्थी के माता पिता का कहना है कि वह 90 और 89 वर्ष के वृद्ध होने के कारण अपना गुजारा करने में असमर्थ हैं। उनके अनुसार उनका बेटा मान सिंह जालंधर में अपने परिवार सहित अच्छे स्तर का जीवन जी रहा है। यह प्रार्थी का कर्तव्य है कि वह अपने बूढ़े माता पिता की देखरेख करे परंतु वह ऐसा नहीं कर रहा है। उनका यह भी आरोप है कि प्रार्थी उनके साथ दुर्व्यवहार करता है और अपमानजनक भाषा (Offensive Language) का प्रयोग करता है। उनकी याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के पश्चात फैमिली कोर्ट (Family Court) ने प्रार्थी बेटे को 5000 रुपए मासिक अंतरिम गुजारा भत्ता अदा करने के आदेश दिए।
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प्रार्थी ने इन आदेशों को हाईकोर्ट में यह कहते हुए चुनौती दी थी कि उसके पांच भाई और भी हैं और केवल उसी पर गुजारा भत्ता डालना गलत है। प्रार्थी का कहना था कि उसकी अपनी आय बमुश्किल 10 हजार रुपए महीना है और उस पर अपने परिवार में पत्नी और दो बेटों का भरण पोषण की जिम्मेदारी भी है। इतना ही नहीं वह पहले से एसडीएम भोरंज के आदेशानुसार 500 रुपए प्रतिमाह गुजारा भत्ता (Alimony) अपने माता पिता को दे रहा है। उसने 5000 रुपए प्रतिमाह के अंतरिम गुजारे भत्ते को अधिक बताते हुए फैमिली कोर्ट हमीरपुर के आदेशों को खारिज करने की गुहार लगाई थी। कोर्ट ने प्रार्थी की दलीलों से सहमति जताते हुए फैमिली कोर्ट हमीरपुर के आदेशों में संशोधन करते हुए अंतरिम भत्ते को 5000 रुपए से घटा कर 3000 रुपए मासिक करने के आदेश पारित किए।