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सड़े सेबों की दुर्गंध पर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव से मांगा जवाब
शिमला। पिंजौर-परवाणू हाईवे (Pinjore-Parwanoo Highway) पर सड़े सेबों की दुर्गंध से यात्रियों को हो रही परेशानी (inconvenience to passengers) पर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal Pradesh High Court) ने संज्ञान लिया है। मुख्य न्यायाधीश एए सैयद और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। मामले में प्रदूषण नियंत्रण बोर्डए एचपीएमसी और डीसी सोलन को प्रतिवादी बनाया है। एक दैनिक समाचार में प्रकाशित खबर के अनुसार राज्य में प्रवेश करने वाले पर्यटकों को नेशनल हाईवे पिंजौर-परवाणू के किनारे खड़े सेबों से लदे ट्रकों से निकलने वाली बदबू का सामना करना पड़ रहा है। बाजार हस्तक्षेप योजना के तहत खरीद की प्रतीक्षा में यात्री राजमार्ग के किनारे लगे बोरियों में सेब लदे ट्रकों को देखा जा सकता है। गुणवत्ता वाले सेब को बाजार में बेचा जाता है, शेष को बोरियों में भरा जाता है और खरीद के लिए परवाणू पहुंचाया जाता है। फल की खरीद करने वाले ठेकेदारों को एचपीएमसी और हिमफेड (HPMC and Himfed) की ओर से काम सौंपा जाता है। कई बार ट्रक वालों को खरीद के लिए कई दिनों तक इंतजार करना पड़ता है और अधिक तापमान के कारण सेब सड़ने लगते हैं। हिमाचल आने वाले पर्यटकों का इस दुर्गंध के साथ राज्य में स्वागत होता है। जबकि एचपीएमसी के अधिकारी ट्रकों की कमी की दलील देते हैं।
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अवैध निर्माण करने के आरोप को लेकर दायर याचिका में मुख्य सचिव से जवाब तलब
टैक्सी यूनियन द्वारा अवैध निर्माण करने के आरोप को लेकर दायर याचिका में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव से जवाब तलब किया है। याचिका में प्रधान सचिव गृह, डीसी और एसपी शिमला (Principal Secretary Home, DC & SP Shimla) को प्रतिवादी बनाया गया है। मुख्य न्यायाधीश एए सैयद और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ (Chief Justice AA Syed and Justice Jyotsna Rewal Dua) की खंडपीठ ने प्रतिवादियों से तीन हफ्ते में जवाब तलब किया है। याचिकाकर्ता राकेश कुमार ने आरोप लगाया है कि जय मां काली टैक्सी यूनियन ने बीसीएस के पास अतिथि होटल के सामने अवैध पार्किंग का निर्माण किया है। सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत प्राप्त सूचना के अनुसार प्रतिवादी यूनियन के पास निर्माण बाबत कोई अनुमति नहीं है। सड़क के किनारे अवैध तरीके से 15 गाड़ियों की पार्किंग बना दी गई है। इसके कारण ट्रैफिक जाम की समस्या बनी रहती है। याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई है कि उसकी टैक्सी यूनियन से कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है। आम लोगों की परेशानी को देखते हुए यह याचिका जनहित में दायर की गई है। याचिकाकर्ता ने अदालत से गुहार लगाई है कि इस अवैध पार्किंग को तुरंत प्रभाव से हटाए जाने के आदेश पारित किए जाएं।