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Shilavati: हिमाचल की मलाणा क्रीम को आंध्र प्रदेश की शीलावती ने दी मात
Shilavati: नेशनल डेस्क। ‘शीलावती’ (Shilavati) भांग की ऐसी किस्म है जो इन दिनों बेहद लोकप्रिय बनती जा रही है। जो लोग कभी हिमाचल की मलाणा क्रीम के दीवाने हुआ करते थे वह अब शीलावती के फैन (Fan of Shilavati) बन गए हैं। मुख्य रूप से आंध्र-प्रदेश और ओडिशा सीमा के साथ लगते आदिवासी क्षेत्रों में खेती की जाने वाली शीलावती पिछले तीन से चार सालों में हिमाचल में उगाई जाने वाली मलाणा क्रीम (Malana Cream) को पीछे छोड़ते हुए भारत में सबसे लोकप्रिय बनकर उभरी है।
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2019 तक लोकप्रिय रही कुल्लू की मलाण क्रीम
आपको बता दें कि हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के जिला कुल्लू (Kullu) में उगाई जाने वाली मलाणा क्रीम 2019 तक लोकप्रिय रही। हालांकि, मलाना क्रीम जहां 5 लाख से 8 लाख रुपये प्रति किलोग्राम तक मिलती है, वहीं शीलावती महज 80,000 रुपये से 1.2 लाख रुपये प्रति किलोग्राम में उपलब्ध है। शीलावती की खेती (Shilavati Cultivation) ऐतिहासिक रूप से ओडिशा की सीमा से लगे आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीताराम राजू जिले के विभिन्न हिस्सों में की जाती थी। लेकिन सख्त प्रवर्तन उपायों ने इसकी खेती को ओडिशा के मलकानगिरी और कोरापुट जिलों के साथ-साथ ASR जिले के चुनिंदा क्षेत्रों तक सीमित कर दिया है।
भांग की ‘शीलावती’ किस्म अन्य से बेहद अलग
प्रवर्तन विभाग के सूत्रों ने कहा कि पिछले चार वर्षों में NCB ने देश भर में जब्त किए गए 23 लाख किलो गांजा (Ganja) में से 70 प्रतिशत से अधिक शीलावती स्ट्रेन था। यह चौंका देने वाली जब्ती देश भर में प्रतिबंधित पदार्थों की बढ़ती मांग और इसके प्रसार को रेखांकित करती है।
आंध्र प्रदेश के विशेष प्रवर्तन ब्यूरो के एक अधिकारी ने बताया कि ‘भांग के पौधे (Hemp Plants) में कैनाबिनोइड्स नामक कई रासायनिक यौगिक होते हैं, जिनमें से टेट्राहाइड्रोकैनाबिनोल मूल साइकोएक्टिव तत्व है। शीलावती के पास टेरपीन और सुगंधित यौगिकों का अपना अलग सेट है, जो इसे अन्य भांग की किस्मों से अलग करता है।’