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रफ्तार पकड़ रहे कोरोना टीकाकरण अभियान के बीच आखिर कैसे वेस्ट हो जाती है कोरोना वैक्सीन
देश इस समय कोरोना ( corona)से जूझ रहा है। संक्रमितों के हर रोज चौंकाने वाले आंकड़े सामने आते हैं, जो झकझोर कर रख देते हैं। दूसरी तरफ टीकाकरण( Vaccination) का काम भी तेजी से चला हुआ है, लोग स्वयं टीका लगवाने के लिए आगे आ रहे हैं। कोरोना का टीका ही इस बीमारी से बचने में सहायक सिद्ध हो सकता है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि इस समय हमारे देश में दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान ( Vaccination campaign) का तीसरा चरण चल रहा है।
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चिंता की बात यह है कि एक तरफ जहां टीका लगवाने के लिए लोग लाइनों में लग रहे हैं दूसरी तरफ टीके की बरबादी की भी खबरें भी लगातार सामने आ रही है। हाल यह है कि कई राज्यों में तो पांच फीसदी से अधिक टीका बरबाद हो रहा है। यहां तक कि पीएम नरेंद्र मोदी( PM Narendra Modi) भी टीके की बरबादी रोकने की अपील कर चुके हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार सबसे अधिक टीके की बर्बादी तमिलनाडु में हुई है।
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वहां पर 8.83 प्रतिशत टीके बर्बाद ( Vaccine waste) हो गए हैं। अन्य राज्यों में छह मई 2021 तक असम में 7.7, हरियाणा में 5.72 पंजाब में 4.98, बिहार में 4.95, दिल्ली में 3.96, उत्तर प्रदेश में 3.54, झारखंड में 3.12, गुजरात में 3.61 और मध्य प्रदेश में 3.21 फीसदी वैक्सीन बर्बाद हुई है। कुछ राज्य काफी समझदारी से टीके का इस्तेमाल कर रहे हैं ताकि बर्बादी को कम से कम किया जा सके। इसमें कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना, उत्तराखंड आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य शामिल है।
कैसे हो रही वैक्सीन वेस्ट
वैक्सीन की शीशी में 10 या 20 डोज वैक्सीन होगी है। एक शीशी के खोलने के 4 घंटों के भीतर इनका प्रयोग करना होता है। अगर शीशी खुलने के चार घंटों के बीच सभी को डोज नहीं लगाए जाते तो बाकि की वैक्सीन खराब हो जाती है। होता यह है कि अगर किसी सेंटर पर शाम को समय कोई शीशी खुल जाती है और लग टीका लगवाने नहीं पहुंचते हैं तो बाकि का बचा हुआ टीका बरबाद हो जाता है।