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नकली दवाओं का मामला: हाईकोर्ट ने दवा उत्पादक एसोसिएशन से 2 हफ्ते में मांगा जवाब
शिमला। हिमाचल प्रदेश में नकली दवाओं (Fake Medicines) से संबंधित एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए प्रदेश हाईकोर्ट ने दवा उत्पादक एसोसिएशन (Drug Manufacturer Association) को जवाब दायर करने के लिए दो हफ्ते का समय दिया है।
न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि एसोसिएशन को जवाब दायर करने के लिए अतिरिक्त समय नहीं दिया जाएगा। मामले की सुनवाई 18 सितंबर को निर्धारित की गई है। मंगलवार को सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि उन्होंने इस मामले में जवाब दायर कर दिया है। अदालत ने पाया कि अभी सरकार का जवाब अदालत तक नहीं पहुंचा है।
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यह है पूरा मामला
अदालत ने मामले को दवाइयों की जांच के लिए प्रयोगशाला न होने से संबंधित (Lack of Laboratories in Himachal) एक जनहित याचिका के साथ सूचीबद्ध किया है। एक समाचार पत्र में छपी खबर पर अदालत ने जनहित में याचिका दर्ज की है। खबर में उजागर किया गया है कि राष्ट्रीय औषधि नियामक (Drug Controller) और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने हिमाचल में निर्मित 11 दवाइयों के नमूनों को घटिया घोषित किया है, जबकि एक नमूने को नकली पाया गया।
नकली पाई जाने वालों में एक पशु चिकित्सा दवा भी शामिल है। घटिया और नकली दवाइयों के निर्माता बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़, काला अंब के साथ-साथ पांवटा साहिब के औद्योगिक समूहों में स्थित हैं। इन दवाओं का उपयोग स्तन कैंसर के इलाज के अलावा रक्त में कैल्शियम के उच्च स्तर, बुखार, एसिड रिफ्लक्स रोग जैसे नाराजगी और सीने में बेचैनी, दर्द और एलर्जी और बालों के झड़ने जैसी सामान्य बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। इन दवाइयों की परख सामग्री की कमी, विघटन, वजन में एकरूपता, कण पदार्थ की उपस्थिति आदि जैसे मुद्दों की पहचान के गुणवत्ता मानकों में विफल रहे हैं।