-
Advertisement
हिमाचल: चिलगोजा के एकमात्र जंगल का मिट रहा नामोनिशान, आग ने तीन दिन में जला दिए सैंकड़ों पेड़
रिकांगपिओ। हिमाचल के किन्नौर (Kinnaur) जिला में पिछले तीन दिन से दहक रहे चिलगोजा के जंगल (Chilgoza Forest) अभी भी शांत नहीं हुए हैं। 40 बीघा जंगल में अब तक सैंकड़ों चिलगोजा के पेड़ (Chilgoza Tree Burnt) जलकर नष्ट हो चुके हैं, जिससे करोड़ों की वन संपदा को नुकसान हुआ है। यही नहीं जंगली जानवरों का भी इस आग से भारी क्षति हुई है। सबसे बड़ी बात यह है कि हिमाचल के किन्नौर जिला की पूह घाटी में यही एकमात्र ऐसा जंगल है, जिसमें चिलगोजा पैदा होता है। तीन दिन से दहक रहे जंगल से कहीं हिमाचल से चिलगोजा का नामोनिशान ना मिट जाए। हालांकि आग बुझाने के लिए आईटीबीपी (ITBP) से लेकर सेना (Indian Army) तक की मदद ली जा रही है, लेकिन आग भीषण रूप धारण करती जा रही है। जिला प्रशासन की मानें तो अब तक 80 फीसदी आग को बुझाया जा चुका है। लोगों ने अब इस आग पर काबू पाने के लिए हेलिकाप्टर की मांग की है।
यह भी पढ़ें:मैक्लोडगंज में आग ने जला डाला गरीब का ऑटो, सवारियां उतारते ही हो गया हादसा
बताया जा रहा है कि शुक्रवार को बिजली की लाइनों के आपस में टकराने से निकली चिंगारी से जंगी गांव के पास यह आग लगी थी। जो कि तेज हवाओं के बाद एक दम से 40 बीघा के पूरे जंगल में भड़क गई। आग लगने की सूचना मिलते ही वन विभागए मूरंग से आईटीबीपी की दो यूनिट, सेना, जंगी, लिप्पा, रारंग, स्कीबा, मूरंग और ठंगी के ग्रामीणों ने आग पर काबू का प्रयास किया और आग को जंगी गांव की ओर फैलने से रोक दिया, लेकिन यह आग जंगल में फैल गई और पूरे जंगल को अपनी चपेट में ले लिया। बता दें कि इस आग (Fire) का सबसे ज्यादा नुकसान चिलगोजा के पेड़ों को हुआ है। चिलगोजा से ही यहां के ग्रामीण अपनी आर्थिकी को सुदृढ़ करते थे। वन विभाग रिकांगपिओ के डीएफओ रिजनोल्ट राइस्टन ने बताया कि ग्रामीणों की मदद से आग पर काबू पाने के हर संभव प्रयास किया जा रहे हैं, जल्द ही आग को पूरी तरह से बुझा लिया जाएगा।
किन्नौर में ही होता है चिलगोजा
बता दें कि चिलगोजा का उत्पादन हिमाचल में किन्नौर जिला में ही होता है। यहां के जंगलों से प्राकृतिक रूप से उगे चिलगोजा के पेड़ों से फल निकालकर लोग करोड़ों की कमाई करते हैं और क्षेत्र के लोग अपनी आर्थिकी सुदृढ़ करते हैं। क्षेत्र के पूह वैली के जंगलों में ही चिलगोजा उत्पादन होता है। इसको देखते हुए क्षेत्र के लोगों ने इन दुर्लभ पेड़ों को बचाने के लिए प्रदेश सरकार से जल्द कदम उठाने की मांग की है।