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सूरज ह#त्याकांड में ईजी जैदी समेत आठ पुलिस कर्मियों को उम्र कैद, एक- एक लाख जुर्माना
Suraj custodial death case: हिमाचल प्रदेश के कोटखाई में 2017 में गुड़िया मर्डर मामले (Gudiya murder case) के आरोपी सूरज की हिरासत में मौ#त के मामले (Suraj custodial death case) में सीबीआई की एक अदालत (CBI court) ने हिमाचल प्रदेश के आईजी जहूर हैदर जैदी (IG Zahoor Haider सहित आठ पुलिस कर्मियों को सजा पर फैसला सुनाया है। अदालत ने जैदी और डीएसपी मनोज जोशी, एसआई राजिंदर सिंह, एएसआई दीप चंद शर्मा, एचएचसी मोहन लाल, एचएचसी सूरत सिंह, एचसी रफी मोहम्मद और कांस्टेबल रंजीत स्टेटा को आज उम्रकैद की सजा सुनाई है। सभी दोषियों को एक एक लाख जुर्माना भी अदा करना होगा।
इससे पहले सीबीआई कोर्ट ने सोमवार सुबह दोषियों से उनकी आखिरी अपील सुनी। इस मामले में अदालत ने 18 जनवरी को सुनवाई में पूर्व एसपी डीडब्ल्यू नेगी (Former SP DW Negi) को बरी कर दिया था।
ये था पूरा मामला
कोटखाई से 4 जुलाई 2017 को 16 वर्षीय लड़की लापता हो गई थी और दो दिन बाद 6 जुलाई को उसका शव जंगल से बरामद हुआ था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बलात्कार और हत्या (Rape and Murder)की पुष्टि हुई थी और मामला दर्ज किया गया था।
राज्य में भारी जनाक्रोश के बीच तत्कालीन सरकार ने जैदी की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया था।
एसआईटी ( SIT) ने छह लोगों को गिरफ्तार किया था और एक आरोपी सूरज की हिरासत में मौत के बाद हिमाचल हाईकोर्ट ने दोनों मामलों की जांच सीबीआई को सौंप दी थी।सूरज की मौत 18 जुलाई 2017 की रात शिमला के कोटखाई थाने में हुई थी।
22 जुलाई 2027 को मामला दर्ज करने के बाद सीबीआई ने हिरासत में मौत के सिलसिले में जैदी और अन्य पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया था।सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में एक आरोपी की हिरासत में कथित मौत से संबंधित मामले को शिमला से चंडीगढ़ स्थानांतरित कर दिया था।
मामले के शीघ्र निपटारे के लिए सीबीआई द्वारा दायर याचिका पर शीर्ष अदालत ने मामले को स्थानांतरित कर दिया।जांच के बाद, सीबीआई ने आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया। प्रथम दृष्टया मामला पाते हुए, आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए गए, जिसमें उन्होंने खुद को निर्दोष बताया और मुकदमे का दावा किया।
सीबीआई के सरकारी वकील अमित जिंदल ने दावा किया कि सभी आरोपियों ने सूरज सिंह और सात अन्य को गिरफ्तार किया और उनसे जबरन कबूलनामा करवाने और झूठे सबूत गढ़ने के लिए उन्हें चोट पहुंचाई और गंभीर चोटें पहुंचाईं।
पूर्व एसपी नेगी के वकील रवींद्र पंडित और सिद्धांत पंडित ने तर्क दिया कि अपराध में उनकी कोई भूमिका नहीं थी। दलीलें सुनने के बाद, अदालत ने मामले में आठ आरोपियों को दोषी ठहराया। अभियोजन पक्ष ने मामले में 52 से अधिक गवाहों की जांच की है।
सीबीआई का दावा है कि आरोपियों ने झूठी रिपोर्ट पेश की सीबीआई का दावा है कि आरोपियों ने सूरज सिंह की मौत से संबंधित सबूत नष्ट कर दिए। उन्होंने डीजीपी को झूठी और मनगढ़ंत रिपोर्ट सौंपी कि सूरज सिंह की हत्या राजिंदर उर्फ राजू ने पुलिस लॉकअप में की थी।
मेडिकल रिपोर्ट में मृतक के शरीर पर 20 से अधिक चोटों के निशान भी बताए गए हैं।एम्स के डॉक्टरों के बोर्ड की एक अन्य रिपोर्ट में मृतक को दी गई यातना की पुष्टि की गई है। सीबीआई ने दावा किया कि जैदी ने पुलिस हिरासत में आरोपी की मौत की घटना के संबंध में हिमाचल प्रदेश के डीजीपी को एक रिपोर्ट सौंपी थी। उन्होंने जानबूझकर तथ्यों को छिपाया और डीजीपी को एक झूठी रिपोर्ट सौंपी।