-
Advertisement
नरक चतुर्दशी पर दीपदान करने का क्या है महत्व, पढ़े यहां
नरक चतुर्दशी को हम छोटी दिवाली के नाम से जानते हैं। इस दिन दीये जलाने की मान्यता भी है। यही नहीं, लोग इस दिन अगले दिन होने वाली दिवाली यानी महालक्ष्मी पूजा के लिए खरीदारी भी करते हैं। इस दिन को कृष्ण चतुर्दशी के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि कहा जाता है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर नाम के राक्षस का वध करके 16 हजार से ज्यादा महिलाओं को मुक्त करवाया था। इसलिए इस दिन लोगों ने खुशी में दीये जलाए थे जो आज भी जारी है और तब से इस दिन को नरक चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है। नरक चतुर्दशी पर मृत्यु के देवता यमराज की पूजा होती है। घर के कोनों में दीपक जलाकर अकाल मृत्यु से मुक्ति की कामना की जाती है। इस दिन यमराज के निमित्त दीपदान करने का विशेष महत्व है। इस बाक 30 अक्टूबर को नरक चतुर्दशी है।
वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के चतुर्दशी तिथि की शुरुआत बुधवार, 30 अक्टूबर 2024 को 1 बजकर 15 मिनट पर शुरू होगी। वहीं चतुर्दशी तिथि का समापन गुरुवार, 31 अक्टूबर 3 बजकर 52 मिनट पर समाप्त होगी। नरक चतुर्दशी के दिन सूर्यास्त के बाद यम दीपक जलाया जाता है। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त 5 बजकर 36 मिनट से लेकर 6 बजकर 5 मिनट तक रहेगा।
पूजन विधि
इस दिन शरीर पर तिल के तेल की मालिश करके सूर्योदय से पहले स्नान करने का विधान है। स्नान के दौरान अपामार्ग (एक प्रकार का पौधा) को शरीर पर स्पर्श करना चाहिए। अपामार्ग को निम्न मंत्र पढ़कर मस्तक पर घुमाना चाहिए-
सितालोष्ठसमायुक्तं सकण्टकदलान्वितम्।
हर पापमपामार्ग भ्राम्यमाण: पुन: पुन:।।
नहाने के बाद साफ कपड़े पहनकर, तिलक लगाकर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके निम्न मंत्रों से प्रत्येक नाम से तिलयुक्त तीन-तीन जलांजलि देनी चाहिए। यह यम-तर्पण कहलाता है। इससे वर्ष भर के पाप नष्ट हो जाते हैं-
ऊं यमाय नम:, ऊं धर्मराजाय नम:, ऊं मृत्यवे नम:, ऊं अन्तकाय नम:, ऊं वैवस्वताय नम:, ऊं कालाय नम:, ऊं सर्वभूतक्षयाय नम:, ऊं औदुम्बराय नम:, ऊं दध्राय नम:, ऊं नीलाय नम:, ऊं परमेष्ठिने नम:, ऊं वृकोदराय नम:, ऊं चित्राय नम:, ऊं चित्रगुप्ताय नम:।
इस प्रकार तर्पण कर्म सभी पुरुषों को करना चाहिए, चाहे उनके माता-पिता गुजर चुके हों या जीवित हों। फिर देवताओं का पूजन करके शाम के समय यमराज को दीपदान करने का विधान है।
नरक चतुर्दशी पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा भी करनी चाहिए, क्योंकि इसी दिन उन्होंने नरकासुर का वध किया था। इस दिन जो भी व्यक्ति विधिपूर्वक भगवान श्रीकृष्ण का पूजन करता है, उसके मन के सारे पाप दूर हो जाते हैं और अंत में उसे वैकुंठ में स्थान मिलता है।
यह भी पढ़ें:इस बार दिवाली पर दें ये गिफ्ट, आपके बजट में भी आएंगे एकदम फिट
हिमाचल और देश-दुनिया के ताजा अपडेट के लिए like करे हिमाचल अभी अभी का facebook page