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जनता के लिए भाषा को बनाया जाए सरल, ऐसा हो लीगल पढ़ाई का स्तर: PM Modi
नई दिल्ली के विज्ञान भवन में पीएम नरेंद्र मोदी ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों और हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के संयुक्त सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि आजकल कई देशों में लॉ यूनिवर्सिटी में ब्लॉक चैन, इलेक्ट्रॉनिक डिस्कवरी, साइबर सिक्योरिटी, रोबोटिक्स, अल और बायोऐथिक्स जैसे विषय पढ़ाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारे देश में भी लीगल एजुकेशन इन इंटरनेशनल स्टैंडर्ड के मुताबिक हो ये हमारी जिम्मेदारी है।
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पीएम मोदी ने कहा कि हमारे देश में जहां एक ओर जुडिशरी की भूमिका संविधान संरक्षक की है और दूसरी ओर लेजिस्लेचर नागरिकों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करती है। मुझे विश्वास है कि संविधान की इन दो धाराओं का ये संगम, ये संतुलन देश में प्रभावी और समयबद्ध न्याय व्यवस्था का रोडमैप तैयार करेगा। उन्होंने कहा कि आजादी के इन 75 सालों ने जुडिशरी और एग्जीक्यूटिव दोनों के ही रोल्स और रिस्पांसिबिलिटी को निरंतर स्पष्ट किया है। जहां जब भी जरूरी हुआ, देश को दिशा देने के लिए ये रिलेशन लगातार इवॉल्व हुआ है।
पीएम मोदी ने कहा 2047 में जब देश अपनी आजादी के 100 साल पूरे करेगा, तब हम देश में कैसी न्याय व्यवस्था देखना चाहेंगे। हम किस तरह अपने judicial सिस्टम को इतना समर्थ बनाएं कि वो 2047 के भारत की आकांक्षाओं को पूरा कर सके, उन पर खरा उतर सके, ये प्रश्न आज हमारी प्राथमिकता होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत सरकार भी जुडिशल सिस्टम में टेक्नॉलॉजी की संभावनाओं को डिजिटल इंडिया मिशन का एक जरूरी हिस्सा मानती है। उदाहरण के तौर पर, e-courts प्रोजेक्ट को आज मिशन मोड में इंप्लीमेंट किया जा रहा है।
पीएम मोदी ने कहा कि कुछ साल पहले डिजिटल ट्रांजेक्शन को हमारे देश के लिए असंभव माना जाता था। आज छोटे कस्बों यहां तक गांवों में भी डिजिटल ट्रांजेक्शन आम बात होने लगी है। पूरे विश्व में पिछले साल जितने डिजिटल ट्रांजेक्शन हुए, उसमें से 40 प्रतिशत डिजिटल ट्रांजेक्शन भारत में हुए हैं। उन्होंने कहा कि हमें कोर्ट में स्थानीय भाषाओं को प्रोत्साहन देने की जरूरत है। इससे देश के सामान्य नागरिकों का न्याय प्रणाली में भरोसा बढ़ेगा, वो उससे जुड़ा हुआ महसूस करेंगे। हमारे देश में आज भी हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की सारी कार्यवाही अंग्रेजी में होती है। एक बड़ी आबादी को न्यायिक प्रक्रिया से लेकर फैसलों तक को समझना मुश्किल होता है, हमें व्यवस्था को आम जनता के लिए सरल बनाने की जरूरत है।
पीएम मोदी एक गंभीर विषय आम आदमी के लिए कानून की पेचीदगियों का भी है। 2015 में हमने करीब 1800 ऐसे कानूनों को चिन्हित किया था जो अप्रासंगिक हो चुके थे। इनमें से जो केंद्र के कानून थे, ऐसे 1450 कानूनों को हमने खत्म किया, लेकिन राज्यों की तरफ से केवल 75 कानून ही खत्म किए गए हैं।