- Advertisement -
कालाष्टमी (Kalashtami) हर महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन मनाई जाती है। प्रत्येक महीने में आने के कारण यह त्यौहार एक वर्ष में कुल 12 बार तथा अधिक मास की स्थिति में 13 बार मनाया जाता है। काल भैरव (Kaal Bhairav) को पूजे जाने के कारण इसे काल भैरव अष्टमी अथवा भैरव अष्टमी भी कहा जाता है। काल भैरव भगवान शिव (Lord Shiva) का ही एक रूप हैं। इन्हें तंत्र.मंत्र का देवता भी माना जाता है। भगवान काल भैरव की आराधना करने से रोग] दोष] भय आदि का नाश होता है। जिन पर काल भैरव की कृपा होती है] उनको अकाल मृत्यु (Premature Death) का भी भय नहीं होता है।
काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट ने बताया कि वैशाख माह के कृष्ण पक्ष (Krishna Paksha) की अष्टमी तिथि का प्रारंभ 23 अप्रैल दिन शनिवार को सुबह 06 बजकर 27 मिनट पर हो रहा है। यह तिथि अगले दिन 24 अप्रैल रविवार को सुबह 04 बजकर 29 मिनट पर समाप्त हो रही है। सूर्योदय के आधार पर तिथि की मान्यतानुसार कालाष्टमी व्रत (kalashtami fasting) 23 अप्रैल को रखा जाएगा। इस दिन ही काशी के कोतवाल कहे जाने वाले बाबा काल भैरव की पूजा की जाएगी।
ऐसी मान्यता है कि कालाष्टमी के दिन भगवान भैरव की पूजा करने से सभी तरह के भय से मुक्ति मिल जाती है। इस दिन व्रत करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है, साथ ही भैरव भगवान की कृपा से शत्रुओं से छुटकारा मिल जाता है।
इस दिन साध्य योग देर रात 01 बजकर 31 मिनट तक रहेगाए उसके बाद से शुभ योग (good yog) शुरू होगा। कालाष्टमी वाले दिन त्रिपुष्कर योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का सुंदर संयोग बना हुआ है। इस दिन पूजा करने से आपकी मनोकामनाएं पूरी होंगी और कार्यों में सफलता भी प्राप्त होगी। 23 अप्रैल को सर्वार्थ सिद्धि योग शाम 06 बजकर 54 मिनट से लग रहा हैए जो अगले दिन 24 अप्रैल को प्रातरू 05 बजकर 47 मिनट तक रहेगा।
इस दिन त्रिपुष्कर योग सुबह 05 बजकर 48 मिनट से प्रारंभ होकर अगले दिन 24 अप्रैल को प्रातरू 06 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। ऐसे में कालाष्टमी व्रत वाले दिन आप सुबह से लेकर रात के मुहूर्त में पूजा कर सकते हैं। इस दिन का अभिजित मुहूर्त 11 बजकर 54 मिनट से दोपहर 12 बजकर 46 मिनट तक रहेगा। इस समय में आप कोई भी नया या शुभ कार्य प्रारंभ कर सकते हैं,k हालांकि सर्वार्थ सिद्धि योग का समय उत्तम है।
- Advertisement -