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साइंस से जुड़ा है दुर्गा अष्टमी/नवमी को बनने वाला कंजक प्रसाद, जानें कैसे ?
सभी त्योहारों की तरह ही नवरात्र का त्यौहार (Navratri Festival) भी बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। देश के हर कोने में नवरात्र के अलग-अलग रंग देखने को मिलते हैं। नवरात्र में दुर्गा अष्टमी (Durga Ashtami) और नवमी का बेहद महत्व है। नवरात्र के आठवें दिन मां के दुर्गा के महागौरी स्वरूप को पूजा जाता है और नवमी के दिन सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। नवरात्र के दिन जो भी लोग व्रत करते हैं वह दुर्गा अष्टमी और नवमी को छोटी कन्याओं के चरण धोकर उन्हें प्रसाद (Prasad) खिलाते हैं। इन कन्याओं को कंजक (Kanjak) भी कहते हैं।
कंजक पूजा के साथ नवरात्र की समाप्ति
कन्याओं को देवी स्वरूप मानकर उनकी सेवा की जाती है। पूजा के अंत में कन्याओं को धन, खिलौने आदि देकर भेजा जाता है। जाने से पहले साधक कन्याओं से आर्शीवाद लेते हैं। इसके बाद साधक खुद प्रसाद ग्रहण करता है। कंजक पूजा (Kanjak Puja) के साथ नवरात्र की समाप्ति की जाती है। इस दिन हलवे, पूरी और सूखे चने का प्रसाद बनाया जाता है। क्या आपने कभी सोचा है कि नवरात्र के दौरान यही भोग क्यों बनाया जाता है? अगर नहीं तो आज हम आपको बताएंगे कि ऐसा क्यों है। आपको बता दें कि इसके पीछे भी धार्मिक आस्था संग साइंस छीपा है।
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कंजक प्रसाद पोषक तत्वों से भरपूर
कंजकों को खिलाने वाला प्रसाद (पूरी, चना और हलवा) सब देसी घी में बनाए जाते हैं और यह शरीर के लिए स्वस्थ माने जाते हैं। विशेषज्ञों (Experts) के मुताबिक, कंजक प्रसाद पोषक तत्वों से भरपूर माना जाता है। चना और सूजी आहार फाइबर से भरपूर होते हैं और जिससे रक्त शर्करा का स्तर बेहतर होता है। वे कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बनाए रखने और संतुलित करने में भी मदद करते हैं और इस तरह हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं।
शरीर के लिए फायदेमंद कंजक प्रसाद
विशेषज्ञों का मानना है कि काले चने में सैपोनिन भी होता है, जो शरीर (Body) में कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने और फैलने से रोकता है। इसमें सैलेनियम भी होता है, जो कैंसर पैदा करने वाले यौगिकों को डिटॉक्सीफाई करने में महत्वपूर्ण (Important) भूमिका निभाता है। दूसरी तरफ, सूजी दिल की सेहत के लिए अच्छी होता है और वज़न कम करने में मददगार होता है। वहीं न्यूट्रीशनिस्ट का भी मानना है कि 8-9 दिनों तक सात्विक खाने का पालन करने के बाद पूरी, हलवा और चना शरीर को ज़रूरी पोषण देते हैं, जिससे पाचनक्रिया में संतुलन बना रहता है।