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आर्मी में डॉग्स एक अहम भूमिका निभाते हैं। कई बार हमारे दिमाग में ये सवाल जरूर आता है कि इन डॉग्स (Dogs) को आर्मी में भर्ती कैसे किया जाता है। उन्हें कितनी सैलरी दी जाती है या फिर इनकी ट्रेनिंग (Training) कहां होती है। आज हम आपको आर्मी डॉग्स से जुड़ी पूरी जानकारी देंगे।
बता दें कि भारतीय सेना में डॉग यूनिट्स में अलग-अलग तरह के कुत्ते होते हैं। इन कुत्तों में लैब्राडोर, जर्मन शेफर्ड, ग्रेट माउंटेन स्विस और बेल्जियम मालिंस ब्रीड के कुत्ते शामिल है। हमारे देश में सेना में शामिल होने वाले कुत्तों के मेरठ (Meerut) के रिमाउंट एंड वेटनरी कोर सेंटर एंड स्कूल में ट्रेन किया जाता है। ये स्कूल में साल 1960 में खोला गया था। इस स्कूल में कुत्ते को दाखिल करने से पहले उसकी नस्ल और योग्यता का टेस्ट किया जाता है।
जानकारी के अनुसार, भारतीय सेना (Indian Army) के पास 25 फुल डॉग यूनिट और दो हाफ यूनिट है। इसमें फुल डॉग यूनिट के पास 24 और हाफ यूनिट के पास 12 कुत्ते होते हैं। सेना में हर कुत्ते के पास एक डॉग हैंडलर होता है। डॉग हैंडलर पर कुत्ते की देखरेख की पूरी जिम्मेदारी होती है। ये डॉग हैंडलर कुत्ते को अलग-अलग माध्यम से गाइड करते हैं। इन डॉग हैंडलर्स को अच्छी सैलरी दी जाती है।
सेना में शामिल हुए इन डॉग्स द्वारा कई तरह की ड्यूटी का पालन किया जाता है। इन ड्यूटीज में पेट्रोलिंग, माइन का पता लगाना, ड्रग्स समेत प्रतिबंधित वस्तुओं को सूंघना, संभावित टारगेट पर हमला करना, छिपे हुए आतंकवादियों का पता लगाना, विस्फोटकों को सूंघना, सर्च अभियान में भाग लेना आदि शामिल है। हर आर्मी डॉग को रैंक दिया जाता है और अच्छी डाइट दी जाती है।
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