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जानिए, कौन थीं जून अलमेडा? जिसने की थी पहले ह्यूमन Coronavirus की खोज
नई दिल्ली। चीन के वहां से उपजे कोरोना वायरस (Covid-19) ने इस वक्त दुनिया भर के 180 से अधिक देशों में उत्पात मचा रखा है। दुनियाभर में भले ही अब तक नए कोरोनावायरस की वैक्सीन न तैयार हो पाई हो लेकिन इंसानको संक्रमित करने वाले पहले कोरोनावायरस के खोज की कहानी दिलचस्प है। 1964 में पहले ह्यूमन कोरोना वायरस की खोज करने वाली जून अलमेडा (June Almeida) एक स्कॉटिश बस ड्राइवर की बेटी थीं। 1930 में जन्मीं और 16-वर्ष की उम्र में पढ़ाई छोड़ने वाली जून इम्यूनो-इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी क्षेत्र में अग्रणी थीं।
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स्कॉटलैंड के ग्लासगो में पैदा होनेवाली इस विषाणु वैज्ञानिक का बचपन गरीबी में गुजरा। अलमेडा ने नेज़ल वॉशिंग्स (नाक के सैंपल) की जांच करते हुए वायरस की खोज की थी, जिसे उन्होंने इन्फ्लुएंज़ा वायरस जैसा बताया था। अलमेडा का मन नई चीजों की रिसर्च में अधिक लगता था। यही वजह थी कि बिना किसी डिग्री के उन्होंने एक अलग मुकाम बनाया। कनाडा के बाद ब्रिटेन में उनके काम की अहमियत को समझा गया। 1964 में लंदन के सेंट थॉमस मेडिकल स्कूल ने उन्हें नौकरी का ऑफर दिया।
यहां उन्होंने ड्यूड टायरल के साथ मिल कर काम करना शुरू। डॉक्टर ड्यूड नजला-जुकाम पर शोध कर रहे थे। शोध के दौरान एकत्र किए गए सभी नमूनों में उन्हें सामान्य सर्दी-जुकाम के दौरान पाए जाने वाले वायरस दिख रहे थे लेकिन एक नमूना जिसे B-814 नाम दिया गया बाकी अन्य नमूनों से सबसे अलग था। डॉक्टर ड्यूड ने ये सैंपल जून अलमेडा को भेजा। उन्होंने इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप के जरिए खोज की कि ये एन्फलुएंजा के वायरस हैं। यही पहला इंसानी कोरोना वायरस कहलाया। जून अलमेडा का देहांत 77 साल की उम्र में 2007 में हुआ।