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विपक्ष के 9 बड़े नेताओं का पीएम मोदी को पत्रः ईडी-सीबीआई के दुरुपयोग और राज्यपाल के दखल पर जताई चिंता
नई दिल्ली। ईडी- सीबीआई छापेमारी और राज्यपाल-उपराज्यपाल से राज्य सरकारों के विवाद को लेकर विपक्ष के 9 नेताओं ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। बीआरएस नेता के चंद्रशेखर राव, टीएमसी नेता ममता बनर्जी, आप मुखिया अरविंद केजरीवाल, भगवंत मान, तेजस्वी यादव, फारुक अब्दुल्ला, शरद पवार, उद्धव ठाकरे, अखिलेश यादव की ओर से लिखे इस पत्र में विपक्ष के नेताओं ने बीजेपी शासित केंद्र सरकार पर केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगया है। साथ ही चिट्ठी में ईडी और सीबीआई जैसी एजेंसियों के कथित दुरुपयोग की निंदा की गई है। विपक्ष ने केंद्रीय एजेंसियों की खराब होती छवि पर गहरी चिंता व्यक्त की है।
गवर्नर कार्यालय पर चुनी हुई सरकारों के कार्य में दखल देने का आरोप
पत्र में विपक्षी नेताओं ने असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा पर निशाना साधते हुए कहा है कि बीजेपी में शामिल होने वाले विपक्षी नेताओं के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियां धीमी गति से जांच करती है। पत्र में गवर्नर कार्यालय पर चुनी हुई लोकतांत्रिक सरकारों के कार्य में दखल देने का आरोप लगाया गया है और कहा गया है कि राज्यपाल बन केंद्र और राज्यों के बीच बढ़ती दरार का कारण बन रहे हैं।
मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी पर जताई चिंता
पत्र में लिखा गया है कि लोकतंत्र में जनता की इच्छा सर्वोपरि होती है। लोगों ने जो मत दिया है उसका सम्मान होना चाहिए, बावजूद इसके कि अगर यह मत उस पार्टी के पक्ष में है जो आपकी विचारधारा से अलग है। 26 फरवरी को मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया गया।
9 Opposition Leaders including CM @ArvindKejriwal write to PM Modi‼️
“@msisodia's arrest will be cited worldwide as an example of a political witch-hunt & further confirm what the world was only suspecting- India's democratic values stand threatened under an authoritarian BJP” pic.twitter.com/3ELL5N88UJ
— AAP (@AamAadmiParty) March 5, 2023
सिसोदिया के खिलाफ आरोप निराधार हैं, यह राजनीतिक षड़यंत्र के तहत किया गया है। देशभर में लोग उनकी गिरफ्तारी से नाराज हैं। शिक्षा में व्यापक सुधार के लिए मनीष सिसोदिया को वैश्विक रूप से पहचान मिली है। उनकी गिरफ्तारी दुनियाभर में उदाहरण प्रस्तुत करेगी कि यह राजनीतिक कार्रवाई है और लोगों का संदेह बढ़ाएगी कि भारत के लोकतांत्रिक मूल्य भाजपा शासन में खतरे में हैं। 2014 के बाद केंद्रीय एजेंसियों ने छापेमारी की है, कार्रवाई की है, गिरफ्तारी की है वह अधिकतर विपक्ष के खिलाफ है। इससे साफ है कि इन जांच एजेसिंयों की प्राथमिका सही दिशा में नहीं है।
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