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लिपुलेख: भारत-नेपाल के विवादित इलाके में China ने तैनात किए एक हजार सैनिक; क्या है नई चाल
नई दिल्ली। भारत-नेपाल (India-Nepal) के बीच संबंधों को बिगाड़ने के बाद चीन (China) अब दोनों देशों के बीच की लड़ाई में तीसरा पक्ष बनकर सीधे तौर पर सामने आ गया है। दरअसल, भारत-नेपाल के विवादित हिस्से लिपुलेख (Lipulekh) के पास चीनी सेना की बढ़ती गतिविधियों के बाद उठ रहा है। बतौर रिपोर्ट्स, चीन लद्दाख के बाद अब लिपुलेख में अपनी सेना तैनात कर रहा है। उसने सैनिकों की एक बटालियन मतलब करीब 1 हजार से ज्यादा जवान लिपुलेख के पास तैनात कर दिए हैं। हालांकि, भारत ने भी उतने ही जवान अपने क्षेत्र में तैनात कर दिए हैं। यह लद्दाख सेक्टर के बाहर लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर मौजूद उन ठिकानों में से एक है जहां पिछले कुछ सप्ताह में चाइनीज सैनिकों की आवाजाही दिखी है।
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चीन ने PLA की एक बटालियन को उत्तराखंड में लिपुलेख के बिल्कुल नजदीक तैनात किया है। लिपुलेख एक ऐसी जगह है, जो भारत, नेपाल और चीन की सीमाओं को मिलाता है। अब लिपुलेख में चीनी सैनिकों की तैनाती यह दिखाता है कि चीन का यह दावा गलत है कि उसने लद्दाख से अपनी सेना हटा ली है। भारतीय सैन्य अफसरों ने हाल ही में चीनी टुकड़ियों को लद्दाख के अलावा एलएसी के अन्य इलाकों में भी अपनी ताकत बढ़ाने की कोशिश करते देखा है। खासकर अंदरूनी इलाकों में वह अपने इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को तेजी से आगे बढ़ा रहा है। एक टॉप सैन्य कमांडर के मुताबिक, चीनी सेना ने एलएसी के पार लिपुलेख पास, उत्तरी सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों पर फौज इकट्ठा की है।
नेपाली नागरिकों ने की 395 वर्ग किमी के भारतीय क्षेत्र में जबरन घुसपैठ
लिपुलेख पास हाल ही में चर्चा में आया था। दरअसल, लिपुलेख पास का ही रास्ता मानसरोवर यात्रा के मार्ग में आता है। नेपाल ने भारत की तरफ से हिमालय में मौजूद इस पास पर बनी 80 किमी सड़क के खिलाफ विरोध दर्ज कराया था। लिपुलेख पास को भारत और चीन से लगी एलएसी पर लोग जून से अक्टूबर के बीच सालाना व्यापार के लिए इस्तेमाल करते हैं। नेपाल ने हाल ही में कालापानी के साथ लिपुलेख के इलाके को अपने नक्शे में शामिल कर लिया था। इस बीच नेपाल और भारत में एक बार तनाव बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। दरअसल कालापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेख समेत 395 वर्ग किमी क्षेत्र के भारतीय क्षेत्र में नेपाली नागरिकों ने जबरन घुसपैठ की है और उसे अब नेपाल सरकार ने भी वैध बताया है। मिली जानकारी के मुताबिक नेपाल के धारचुला जिला प्रशासन ने भारत के पत्र का जवाब देते हुए लिखा है कि सुगौली संधि के अनुच्छेद 5, नक्शे और ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर कालापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेख नेपाली क्षेत्र में शामिल है।