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मन्नू भंडारी का 90 साल की आयु में निधन, हिंदी साहित्य में उनके योगदान को जानें
नई दिल्ली। हिंदी की मशहूर लेखिका और कथाकार मन्नू भंडारी (Mannu Bhandari Passes Away) का आज निधन हो गया। वह ‘आपका बंटी’ जैसी मशहूर रचनाओं की लेखिका हैं, जिसे हिन्दी साहित्य का मील का पत्थर माना जाता है। मन्नू भंडारी अपने लेखन में पुरुषवादी समाज पर चोट करती थीं। उनकी कई प्रसिद्ध रचनाएं हैं, जिन पर फिल्म भी बन चुकी है।
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मन्नू भंडारी का जन्म 3 अप्रैल 1931 को मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के मंदसौर में हुआ था। वह दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) के मिरांडा हाउस में पढ़ाती थीं। साहित्यकार राजेंद्र यादव उनके पति थे। मन्नू भंडारी ने ‘मैं हार गई’, ‘तीन निगाहों की एक तस्वीर’, ‘एक प्लेट सैलाब’, ‘यही सच है’, ‘आंखों देखा झूठ’ और ‘त्रिशंकु’ जैसी कई लोकप्रिय कहानियां लिखीं। उनकी लिखी यही सच है पर रजनीगंधा फिल्म बनी थी।
वहीं, आज उनके निधन पर उनकी बेटी रचना यादव ने बताया कि वह करीब 10 दिन से बीमार थीं। उनका हरियाणा के एक अस्पताल में इलाज चल रहा था, जहां आज दोपहर को उन्होंने अंतिम सांस ली। रचना यादव ने कहा कि उनकी मां का अंतिम संस्कार मंगलवार को दिल्ली के लोधी रोड स्थित श्मशान घाट में किया जाएगा।
आपका बंटी ने दिलाई ख्याति
उनका सबसे चर्चित उपन्यास ‘आपका बंटी’ है। इसमें उन्होंने एक बच्चे की स्थिति पर पूरा प्लॉट तैयार किया। इसमें वे पाठकों को बताती हैं कि कैसे वह यानी बंटी मां-बाप के बीच पिसता रहता है। जब परिवार टूट रहा होता है, तब एक बच्चे की मानसिक स्थिति कैसी होती है, किन यातनाओं से होकर उसे गुजरना पड़ता है। परिवार में जब अलगाव होने लगता है, तब एक बच्चे की दुनिया कैसे छीन जाती है, उसके सपने कैसे बिखर जाते हैं, इच्छाओं का दमन कैसे होता है, इन सबको लेखिका ने बड़े ही मार्मिक तरीके से पेश किया है। बता दें कि मन्नू भंडारी द्वारा रचित आपका बंटी हिंदी साहित्य में मील का पत्थर माना जाता है।
पहला उपन्यास- एक इंच मुस्कान
आपको बता दें कि मन्नू भंडारी का पहला उपन्यास ‘एक इंच मुस्कान’ 1961 में प्रकाशित हुआ था। इस उपन्यास को उन्होंने अपने पति राजेंद्र यादव के साथ मिलकर लिखा था। प्रेम पर लिखी यह पुस्तक अपने समय में काफी चर्चित हुई थी। पाठकों से इसे बहुत पसंद किया था.मन्नू भंडारी महिला चरित्रों के चित्रण, उनके संघर्ष, समाज में उनकी जगह और उनके अंदरूनी द्वंद्व को उकेरने के लिए मशहूर हुईं।
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