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#MDH के मालिक #DharampalGulati का Dharamshala से रहा है नाता, खुद को मानते थे अमिताभ बच्चन
धर्मशाला। मसाला किंग (Masala King) के नाम से जाने जाते रहे महाशय धर्मपाल गुलाटी (Dharmapal Gulati) आज हमारे बीच नहीं रहे, लेकिन उनकी कुछ यादें हिमाचल प्रदेश ( Himachal Pradesh )के धर्मशाला से भी जुड़ी हुई हैं। धर्मशाला (Dharamshala) के कोतवाली बाजार से ताल्लुक रखने वाले अरोड़ा परिवार से उनकी नजदीकी रिश्तेदारी व परमेश चड्डा परिवार से उनके घनिष्ठ संबंध के चलते,उनका यहां आना-जाना रहा है। वर्ष 2019 में देश के तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म भूषण (Padma Bhushan)से सम्मानित महाशय (Mahashay)जब भी धर्मशाला आते तो दिल खोलकर बातें करते थे। उनकी एक बात आज भी बार-बार जहन में आती है,वह अकसर कहां करते थे कि वह अपनी कंपनी के अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan)हैं,इसलिए अपनी कंपनी के मसालों की ब्रांडिंग (Branding) खुद करते हैं।
धर्मशाला आते रहते थे महाशय
महाशय धर्मशाला आते तो उनसे मिलने वालों की भीड़ लग जाती,वह सबसे खुलकर बात करते और,जमकर ठहाके लगाते। वह बार-बार ये भी कहते नहीं थकते थे कि अभी तो मैं युवा हूं। धर्मशाला के कोतवाली (Kotwali Bazar Dharamshala)बाजार स्थित परमेश चड्डा (Parmesh Chadda) ही ऐसे शख्स हैं, जिन्होंने महाशय का पहला विज्ञापन (Advertisement)बनाया और आज दिन तक वह उस काम को देखते आ रहे हैं। परमेश चड्डा ने वर्षों पहले बच्चों पर एक फिल्म बनाई तो वह उसे टीवी पर दिखाने के लिए स्पांसर ढूंढ रहे थे,एक दिन परमेश चड्डा को पता चला कि महाशय धर्मशाला स्थित अपने रिश्तेदार अरोड़ा परिवार (Arora Family)के घर आए हुए हैं। वहीं पर परमेश चड्डा ने महाशय से मुलाकात की और उन्होंने फिल्म को देखते ही स्पांसर करने की हामी भर दी। साथ ही अपनी कंपनी के लिए विज्ञापन बनाने का काम भी उन्हें दे दिया। उस वक्त से लेकर परमेश चड्डा आज दिन तक एमडीएच (MDH) के विज्ञापन के काम को संभालते आ रहे हैं। जब परमेश चड्डा के बेटे की शादी हुई तो महाशय उसमें शरीक होने यहां आए थे।
Watch: When 96-year-old Mahashay #DharampalGulati danced to celebrate 100 years of #MDH Masala.
RIP, King of Spices. Your inspiring and iconic journey will always be remembered. #Tribute
VC: @DPrasanthNair pic.twitter.com/2vP1BUPBMi
— The Better India (@thebetterindia) December 3, 2020
गुरुवार सुबह पड़ा दिल का दौरा
गुरूवार सुबह जब उनका निधन हुआ तो यकायक ही धर्मशाला में कहीं उनकी बाते याद आने लगी। वे 98 साल के थे। उनका पिछले तीन हफ्तों से दिल्ली के एक अस्पताल में इलाज चल रहा था। गुरुवार सुबह उन्हें दिल का दौरा पड़ा। उन्होंने सुबह 5.38 बजे अंतिम सांस ली। इससे पहले वे कोरोना से संक्रमित हो गए थे। हालांकि बाद में वे ठीक हो गए थे। महाशयजी (Mahashaji) के नाम से मशहूर धरमपाल गुलाटी का जन्म 1923 में पाकिस्तान के सियालकोट (Sialkot in Pakistan) में हुआ था। स्कूल की पढ़ाई बीच में ही छोड़ने वाले धर्मपाल गुलाटी शुरुआती दिनों में अपने पिता के मसाले के व्यवसाय में शामिल हो गए थे। वर्ष1947 में विभाजन के बाद, धर्मपाल गुलाटी भारत आ गए और अमृतसर (Amritsar) में एक शरणार्थी शिविर में रहे, फिर वह दिल्ली आ गए थे और दिल्ली (Delhi) के करोल बाग में एक स्टोर खोला। वर्ष 1959 में आधिकारिक तौर पर कंपनी की स्थापना की थी। यह व्यवसाय केवल भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया में भी फैल गया। इससे गुलाटी भारतीय मसालों के एक वितरक और निर्यातक बन गए।
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