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म्यूचुअल फंड से धोखाधड़ी के मास्टर माइंड को हिमाचल हाईकोर्ट ने नहीं दी जमानत
शिमला। हिमाचल हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने म्यूचुअल फंड से धोखाधड़ी (Fraud) के मास्टर माइंड आरोपी अंशुल सिंघल की जमानत याचिका खारिज कर दी। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने जमानत याचिका (Bail Plea) को खारिज करते हुए कहा कि प्रार्थी ने अदालत को गुमराह करने की कोशिश की। मामले के अनुसार पुलिस चौकी लक्कड़ बाजार में शिकायतकर्ता ने शिकायत की। शिकायत में उसने अपने म्यूचुअल फंड के साथ धोखाधड़ी का आरोप लगाया था। शिकायतकर्ता ने स्टॉक होल्डिंग कॉर्पोरेशन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के एसएचसीआईएल कार्यालय के माध्यम से वर्ष 2005 और 2006 में विभिन्न म्यूचुअल फंड में निवेश किया था। उसे एलटी म्यूचुअल फंड (LT Mutual Fund) को ओर से फोन आने पर पता चला कि उसके साथ धोखाधड़ी हुई है। उसे फर्जीवाड़ा कर उसका वास्तविक अकाउंट केनरा बैंक में बंद कर एक्सिस बैंक दिल्ली में 31 अक्तूबर, 2018 को खोल दिया गया था।
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पता चला कि दिसम्बर 2018 में उसके रिकॉर्ड में उसका निजी डाटा और बैंक डिटेल्स केवाईसी के माध्यम से बदल दिए गए हैं। इसी तरह इसके अन्य म्यूचुअल फंड्स से भी फर्जीवाड़ा किया गया था। उसके एक्सिस बैंक के फर्जी अकाउंट से मई 2019 तक उसके म्यूचुअल फंड के पैसों का हस्तांतरण हुआ। केवाईसी फिर से अपडेट करने पर उसे पता चला कि उसके सभी म्यूचुअल फंड्स से धोखाधड़ी की गई है। जांच में आरोपी इस फर्जीवाड़े का मुख्य आरोपी पाया गया। जांच में अन्य आरोपी भी सामने आए और पता चला कि सभी आरोपियों ने शिकायतकर्ता से 20 लाख रुपए की धोखाधड़ी की।
देवताओं को पुजारली में रोके जाने के मामले की 3 मार्च को होगी सुनवाई
देवता बनाड़ और देवता देशमौली (Deity Banad and Deshmouli) जी को पुजारली में ही रोके जाने से जुड़े मामले पर सुनवाई 3 मार्च के लिए टल गई। रोहडू के शराचली और जुब्बल तहसील के 6 गावों में आगमन पर रोक से जुड़े मामले पर हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है। 300 वर्षों से अधिक चली आ रही पुरानी ब्रांशी परंपरा के खिलाफ देवता बनाड़ और देवता देशमौली को रोहडू के शराचली क्षेत्र के पुजारली गांव मंदिर में ही रोके जाने के मामले में हाईकोर्ट ने एसडीएम रोहडू व अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रोहडू शिमला के आदेशों पर रोक लगाने के आदेश पारित किए थे। एसडीएम रोहडू ने प्रत्येक वर्ष रोटेशन आधार पर शराचली क्षेत्र के 7 गावों में इन देवताओं की पूजा अर्चना में बाधा उत्पन्न करने वाले लोगों को पुरानी परंपरा में दखल देने से रोकने के आदेश दिए थे।