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इस गुफा में छिपा है करोड़ों टन सोना, आज तक कोई नहीं सुलझा पाया खजाने का रहस्य
पटना। देश में कई ऐसी गुफाएं हैं जिनमें लाखों-करोड़ों टन सोना छिपा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि बौद्धकाल में सोने का संरक्षण किया गया था। बौद्धकाल में बौद्ध और हिंदू राजाओं ने सोने को छिपाने का कार्य शुरू किया, क्योंकि इस काल में समाज में ज्यादा वैमनस्य और झगड़ा बढ़ गया था। राजाओं में प्रतिद्वंदिता भी बढ़ गई थी। ऐसे में कीमती वस्तुओं का मूल्य बढ़ गया और सभी अपने-अपने खजाने को छिपाने में लग गए।
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बिहार में एक ऐसी गुफा (Cave) है जिसमें लाखों टन सोना और अन्य खजाने छिपे होने की संभावना व्यक्त की जाती रही है। यह गुफा बिहार के छोटे से शहर राजगीर की वैभवगिरी पहाड़ी की तलहटी में स्थित है। प्राचीन में मगध साम्राज्य की राजधानी रहा बिहार (Bihar) का राजगीर शहर एक ऐतिहासिक शहर है। यहीं पर बुद्ध ने मगध के सम्राट बिम्बिसार को धर्मोपदेश दिया था। यहां पर लगभग 3-4 ईसा पूर्व भगवान बुद्ध की स्मृति में बनी कई बौद्ध स्मारकों में से एक ‘सोन भंडार गुफा’ रहस्य और रोमांच से भरी है। किंवदंतियों के मुताबिक सोन भंडार गुफा में भरा है सोने और बहुमूल्य खजाने का अकूत भंडार। इतना सोना कि भारत सोने के मामले में नंबर 1 बन सकता है।
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हालांकि कुछ लोग इस खजाने को पूर्व मगध सम्राट जरासंघ का भी बताते हैं, लेकिन वहां इस बात के प्रमाण ज्यादा हैं कि यह खजाना (Treasure) बिम्बिसार का ही है, क्योंकि इस गुफा से कुछ दूरी पर उस जेल के अवशेष हैं, जहां अजातशत्रु ने अपने पिता बिम्बिसार को बंदी बना कर रखा था। सोन भंडार गुफा में प्रवेश करते ही पहले एक बड़ा सा कमरा आता है। कहते हैं कि यह कमरा खजाने की रक्षा करने वाले सैनिकों के लिए बनाया गया था। इसी कमरे की पिछली दीवार से खजाने तक पहुंचने का रास्ता बना हुआ है, जिसका द्वार एक पत्थर के दरवाजे से बंद किया हुआ है। इस दरवाजे को आज तक कोई नहीं खोल पाया है।
गुफा की एक दीवार पर शंख लिपि में कुछ लिखा हुआ है जो आज तक पढ़ा नहीं जा सका है। कहा जाता है कि इसमें ही खजाने के दरवाजे को खोलने का तरीका लिखा हुआ है, लेकिन इस लिपि को पढ़ने में दुनियाभर के लोग नाकाम रहे हैं। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि बिम्बिसार के खजाने तक पहुंचने का रास्ता वैभवगिरी पर्वत सागर से होकर सप्तपर्णी गुफाओं तक जाता है, जो सोन भंडार गुफा की दूसरी ओर पहुंचती है। कहा जाता है कि अंग्रेजों ने एक बार तोप से खजाने के दरवाजे को तोड़ने की कोशिश की थी, लेकिन वो इसे तोड़ नहीं पाए। तोप के गोले के निशान आज भी दरवाजे पर मौजूद हैं।