-
Advertisement
![](https://himachalabhiabhi.com/wp-content/uploads/2021/08/mukesh-agnihotri.jpg)
सदन में बोले मुकेश -मंत्री अपने क्षेत्र में गौ शाला और विरोधियों के यहां बना रहे सांडशाला
शिमला। हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र ( Monsoon session of Himachal Pradesh vidhansabha) का आज चौथा दिन है। आज सुबह 11 बजे विधानसभा की कार्यवाही प्रश्नकाल (Question hour)के साथ शुरू हुई। गौ अभ्यारण्य को लेकर पूछे गए सवाल पर चर्चा में भाग लेते हुए नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने बताया कि मंत्री अपने क्षेत्र में तो गौशाला बना रहे है जबकि अपने विरोधियों के यहां सांडशाला बना रहे है। इस पर सभी सदस्य खिलखिलाकर हंस दिए। इसके जवाब में पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर (Animal Husbandry Minister Virendra Kanwar) ने कहा कि हरोली में नंदीशाला की मांग की गई थी।
यह भी पढ़ें: मानसून सत्र में प्रश्नकालः हिमाचल में एनपीएस कर्मचारियों को राहत देगी जयराम सरकार
रमेश धवाला ने किया था गौ अभ्यारण्य को लेकर सवाल
गौ अभ्यारण्य को लेकर रमेश धवाला का सवाल था कि तीन साल में कितने गौ अभ्यारण्य खोले गए। लोग बेसहारा पशु ना छोड़ें, इसपर कोई कड़ा कानून बनाने की तैयारी है क्या। जवाब में वीरेंद्र कंवर ने कहा कि प्रदेश में 3 गौ अभ्यारण्य कोटला- बड़ोग जिला सिरमौर, थानाकलां खास जिला ऊना, व हांडा कुंडी जिला सोलन में खोले गए है। जिनमें 867 गौवंश को आश्रय प्रदान किया जा रहा है। इनमें कोटला बड़ोग अभ्यारण्य में 1, 67,31,950 ख़र्च किया गया है, जहां 207 गौवंश रखा गया है। ऊना में 2, 03,82, 317 रुपए खर्च किए गए, वहां पर 250 गौवंश को रखा गया है। जबकि सोलन में 2,97,18,900 रुपए खर्च कर जो गौ अभ्यारणय बनाया गया है, वहां 410 गौवंश रखा गया है। कुल मिलाकर 6 करोड़ 68 लाख 33 हज़ार 167 ख़र्च कर 3 अभ्यारण्य बनाए गए है।
वीरेन्द्र कंवर ने बताया कि 146 निज़ी गौ सदन से बढ़कर 198 गौसदन हो गए है। इन गौसदनों मे गौवंश की संख्या 7500 से बढ़कर 17,460 हो गई है। जिनमें हर गाय पर 500 रुपए के रूप में सहायता दी जा रही है। कांगड़ा के खहब्बल में गौ अभ्यारण्य बनाया जा रहा है। जिसपर 3 करोड़ से ज़्यादा का खर्च किया जा रहा है। अब सिर्फ़ बछड़ी ही पैदा हो इस पर पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है, जो महंगा है। इसलिए केंद्र से 3 साल के लिए अनुदान और सीमेन प्रोजेक्ट के लिए आग्रह किया है। पशुओं की टैगिंग की जा रही है। पशुधन छोड़ने पर 500 के बजाए 5000 का जुर्माना व एडीएम या तहसीलदार को सजा की शक्तियां देने पर क़ानून बना रहे।