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पुलवामा शहीद तिलक को श्रद्धांजलि तो दी, लेकिन परिजन नाखुश-देखें
हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा की ग्राम पंचायत धेवा के शहीद तिलक राज की शहादत को प्रशासन द्वारा उनके घर में पहुंचकर मनाया गया। उपमंडलाधिकारी जवाली महेंद्र प्रताप सिंह ने शहीद के घर पर पहुंचकर शहीद तिलक राज के फोटो समक्ष पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। एसडीएम जवाली महेंद्र प्रताप सिंह ने शहीद के पिता लायक राम, माता विमला देवी व पत्नी सावित्री देवी को शाल व टोपी देकर सम्मानित किया। लेकिन, पुलवामा अटैक में तिलक राज को शहीद हुए चार साल बीत चुके हैं लेकिन आजतक सरकार के वादे पूरे नहीं हो पाए हैं। शहीद के माता-पिता, पत्नी सहित परिजन आज भी सरकार के वादों के पूरा होने की राह ताक रहे हैं। शहीद की शहादत पर तत्कालीन सरकार ने शहीद के घर को जाने वाली सड़क का नाम शहीद के नाम पर रखने, धेवा में शहीदी गेट बनाने, श्मशान घाट को जाने वाले मार्ग को पक्का करने, धेवा स्कूल का नाम शहीद के नाम रखने तथा शहीद की पत्नी को सरकारी जॉब देने का वादा किया था। उसमें से शहीद की पत्नी सावित्री देवी को सरकारी जॉब दे दी गई, धेवा स्कूल का नाम शहीद के नाम पर रख दिया गया लेकिन अन्य किसी भी वादे को पूरा नहीं किया गया। आजतज न तो शहीदी गेट बन पाया, न ही सड़क का नाम शहीद के नाम पर हुआ और न ही श्मशान घाट को जाने वाला रास्ता पक्का हो पाया है। स्कूल का नाम शहीद के नाम पर रख दिया गया परन्तु स्कूल में शहीद का नाम एक टीन की चादर पर लिखा गया है जोकि शहादत को जख्म देता है। वक्त के थपेड़ों से शहीद की शहादत धुंधली होती जा रही है। जब तिलक राज शहीद हुए थे तो उनका छोटा बेटा विवान कपूर मात्र 22 दिन का था। शहीद के पिता लायक राम व माता विमला देवी ने कहा कि उनको आज भी अपने बेटे के घर आने का इंतजार रहता है। उन्होंने कहा कि हमारा बेटा देश की सेवा में शहीद हुआ जोकि गर्व की बात है लेकिन सरकार ने शहादत के समय जो वादे किए उनको पूरा नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि आज तक हमारे बेटे के नाम का शहीदी गेट नहीं बन पाया, श्मशान घाट को जाने वाला रास्ता पक्का नहीं हो पाया है। उन्होंने कहा कि धेवा स्कूल का नाम हमारे लाल के नाम पर किया गया और वहां पर एक छोटी की टीन की चादर पर ही नाम लिखा गया है जोकि शहादत को जख्म देता है। उन्होंने कहा कि आज हमारे आंसू पोंछने कोई भी नहीं आता। किसी भी नेता को हमारी याद नहीं आती। उन्होंने रोते-रोते कहा कि हमारे बेटे के नाम पर शहीदी गेट बनाया जाए ताकि उसकी शहादत को युगों-युगों तक याद रखा जा सके।