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राम सुभग सिंह होंगे नए मुख्य सचिव, अनिल खाची ने ली स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति
शिमला। हिमाचल प्रदेश सरकार ने राम सुभग सिंह को नया मुख्य सचिव नियुक्त कर दिया है। राम सुभग सिंह 1987 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। इससे पहले उनके पास अतिरिक्त मुख्य सचिव उद्योग, परिवहन, श्रम एवं रोजगार विभाग का कार्यभार था। गुरुवार को हिमाचल प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव अनिल कुमार खाची को पद से हटा कर राज्य चुनाव आयुक्त के पद पर नियुक्ति दी। इस संबंध में बाकायदा नोटिफिकेशन भी जारी हुई । हिमाचल सरकार ने 1986 बैच के आईएएस अधिकारी अनिल कुमार खाची को दिसंबर 2019 में मुख्य सचिव नियुक्त किया था और राज्य चुनाव आयुक्त के पद पर तैनाती के आदेशों के कुछ समय बाद उन्होंने अपने पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली।अब चुनाव आयुक्त के पद पर रहते हुए खाची को अतिरिक्त सेवाविस्तार भी मिलेगा
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बताया जा रहा है कि राम सुभग सिंह को संघ से नजदीकियों का लाभ मिला है। इसके अलावा बीजेपी ( BJP) के बड़े नेता भी राम सुभग सिंह की पैरवी कर रहे थे। 1986 बैच के आईएएस अधिकारी अनिल खाची पहली जनवरी 2020 को हिमाचल प्रदेश के मुख्य सचिव बने थे। डेढ़ साल से ज्यादा मुख्य सचिव पद पर रहे। अनिल खाची डेढ़ साल बाद सेवानिवृत्त होंगे।इस नियुक्ति के बाद अनिल खाची पर सबकी निगाहें रहेंगी। क्योंकि अनिल खाची की छवि ईमानदार अफसरों में आती है। हाल ही में मंत्री के साथ झगड़े की खबरें भी मीडिया में सामने आई थी। मुख्य सचिव को बदलने का मामला आज विधानसभा के मानसून सत्र में भी गूंजा। विपक्ष की तरफ से विधानसभा में शिमला से संबंध रखने वाले मुख्य सचिव अनिल खाची को हटाने का मामला प्वाइंट ऑफ आर्डर के तहत उठाया गया।
नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने सदन में पूछा कि मुख्य सचिव को क्यों बदला जा रहा है। बीते दिनों जयराम सरकार में एक वरिष्ठ मंत्री के साथ मुख्य सचिव का झगड़ा हुआ था। इसलिए हिमाचल से संबंध रखने वाले मुख्य सचिव को हटाया जा रहा है। इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने विपक्ष के रवैये पर एतराज़ जताया व कहा कि किसको कहां बिठाना है ये सरकार तय करेगी विपक्ष नहीं। लेकिन विपक्ष ने शोर शराबा शुरू कर दिया और सदन में नारेबाज़ी शुरू कर दी। सीएम जय राम ठाकुर ने विपक्ष के हंगामे पर कहा कि अफसरों को बदलने के लिए सरकार विपक्ष से नहीं पूछेगी। इससे पहले कांग्रेस सरकार क्या विपक्ष से पूछकर अफसर बदला करती थी। अधिकारियों से क्या काम लेना है ये सरकार तय करेगी न कि विपक्ष। जब कांग्रेस की सरकार थी उस वक़्त कई अफसरों को बाईपास कर मुख्य सचिव लगाए गए थे। ये मामला विधानसभा में उठाने वाला नहीं है। हिमाचल के सभी अधिकारी अपना काम कर रहे है। उनको इस तरह अपमानित करना गलत है।