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हलषष्ठी का व्रत है कल, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व
हिंदू धर्म में हल षष्ठी (Hal Shashti) के व्रत का विशेष महत्व होता है। पंचांग के अनुसार हल षष्ठी हर वर्ष भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस तिथि पर भगवान कृष्ण (Lord Krishna) के बड़े भाई बलराम जी (Lord Balarama) का जन्म हुआ था। हल षष्ठी के त्योहार पर महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु और सुख-समृद्धि का कामना के लिए व्रत रखती हैं।हल षष्ठी को बलरामजी जयंती और ललही छठ के नाम भी जाना जाता है।आइए जानते हैं हल षष्ठी की शुभ तिथि, मुहूर्त और महत्व के बारे में।
हलषष्ठी व्रत का महत्व
इस तिथि का व्रत करने से संतान के जीवन में चल रहे सभी कष्ट दूर होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस तिथि का व्रत करने से संतान दीर्घायु होती है और बलरामजी का आशीर्वाद (Blessing) भी प्राप्त होता है। हल षष्ठी के दिन महिलाओं को महुआ की दातुन और महुआ खाने का विधान माना जाता है।
हलषष्ठी व्रत का शुभ मुहूर्त
इस बार षष्ठी तिथि की शुरुआत 04 सितंबर 2023 को शाम 04 बजकर 42 मिनट से हो रही है जो 05 सितंबर 2023 को दोपहर 03 बजकर 45 मिनट पर खत्म हो जाएगी। उदया तिथि के अनुसार हल षष्ठी 5 सितंबर को मनाई जाएगी।
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हल षष्ठी पूजा विधि
हल षष्ठी (Hal Shashti) के दिन प्रात:काल उठकर स्नान आदि कर साफ कपड़े पहन लें।
इसके बाद भगवान सूर्यदेव को अर्घ्य दें। अब मंदिर (Temple) या पूजा घर में गंगाजल छिड़कर शुद्ध कर एक चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछा दें। फिर चौकी पर बलराम जी और भगवान कृष्ण की मूर्ति या तस्वीर रख दें।दोनों देवताओं को चंदन का तिलक कर फल, फूल, धूप, दीप आदि सामान अर्पित करें। श्रीकृष्ण (Lord Krishna) की आरती के साथ पूजा संपन्न करें।
भगवान गणेश और माता पार्वती की पूजा के साथ छठ माता की भी पूजा करें। वहीं आज के दिन बलराम जी के शस्त्र ‘हल’की भी पूजा करना शुभ माना जाता है।हल षष्ठी के दिन गाय के दूध व दही का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन हल से जोते गए किसी भी अन्न को ग्रहण नहीं करना चाहिए।