-
Advertisement
हिमाचल विधानसभा अनिश्चित काल के लिए स्थगित, आखिरी दिन पास हुए अहम बिल
अवंतिका खत्री/ धर्मशाला। हिमाचल विधानसभा के शीतकालीन सत्र (Winter Session Of Himachal Assembly) की कार्यवाही पांच बैठकों और 33 घंटे के कामकाज के बाद शनिवार को अनिश्चितकाल (Adjourned Sine Die) के लिए स्थगित हो गई। सत्र के आखिरी दिन सदन में कई अहम बिल पास (House passed Important Bills) किए गए। स्टाम्प ड्यूटी एक्ट में संशोधन के अलावा जल आयोग (Water Commission) से जुड़ा बिल पास हुआ। रेत बजरी के दाम अब सरकार तय करेगी। इसके लिए स्टाम्प ड्यूटी एक्ट में संशोधन किया गया।
पहली बार उत्पादकता 132 प्रतिशत रही
इस बार विधानसभा की उत्पादकता 132 प्रतिशत रही, जो कि हिमाचल के इतिहास में पहली बार है। विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने सत्र को अनिश्चित काल तक के लिए स्थगित करते हुए कहा कि सदन ने इन पांच दिनों में 4 अहम विधेयकों को चर्चा के बाद पारित किया। इस दौरान महालेखाकर नियंत्रक की 3 रिपोर्टें भी रखी गईं। प्रश्नकाल के दौरान 260 तारांकित और 119 अतारांकित प्रश्नों के जवाब दिए गए। सदन ने 21 दिसंबर को नियम 101 के तहत प्रायवेट मेंबर डे के लिए पांच संकल्प पेश किए। सदन से 4 को चर्चा के बाद इन्हें स्वीकृत किया। इनमें से एक संकल्प अगले बजट सत्र के लिए रखा गया है।
रेत-बजरी के रेट नहीं बढ़ा सकते क्रशर मालिक
पांच दिन के सत्र में नियम 68 के तहत 4 विषयों पर चर्चा हुई। नियम 102 के तहत दो सरकारी संकल्प पारित किए गए। राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि माइनिंग लीज (Mining Lease) लेने वाले क्रशर मालिकों को 6 प्रतिशत स्टाम्प डयूटी देनी होगी। बढ़ी हुई स्टाम्प ड्यूटी के बावजूद वे रेत और बजरी का रेट नहीं बढ़ा सकते।
वॉटर सेस कमीशन कहलाएगा जल आयोग
विधानसभा के आखिरी दिन वॉटर सेस कमीशन से जुड़ा संशोधन बिल भी पारित हुआ। अब वाटर सेस कमीशन का नाम जल आयोग होगा। डिप्टी सीएम मुकेश अगिनहोत्री ने सदन में यह विधेयक रखा था। बिल पर चर्चा के दौरान बीजेपी के विधायक रणधीर शर्मा ने बिल के औचित्य पर सवाल उठाते हुए कहा कि एक ही साल में सरकार संशोधन लेकर आ गई है। उन्होंने कहा कि इस संशोधन का कोई औचित्य नहीं है, क्योंकि इस तरह का आयोग बनने से कई तरह की परेशानियां फिर से आएंगी। सिंचाई या पेयजल की योजनाएं (Water And Irrigation Projects) बनाने के लिए भी आयोग से मंजूरी लेनी होगी। उनका कहना था कि आयोग की शक्तियों को ज्यादा बढ़ाने से परेशानी होगी इसलिए सरकार बिल को वापस ले।