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पांच साल पहले पंजे वाला इस बार बन गया है बीजेपी के झंडे वाला
पंजाब बॉर्डर से सटी हिमाचल की नालागढ़ विधानसभा सीट राजनीतिक तौर पर चर्चा का विषय है। कांग्रेस से पलटी मारकर बीजेपी में आ गए सिटिंग विधायक (Lakhwinder Rana) लखविंदर राणा इस मर्तबा भगवा पार्टी के कैंडिडेट हैं। बीजेपी टिकट के दावेदार रहे केएल ठाकुर निर्दलीय तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। ठाकुर बीजेपी से बगावत करने के बाद ही निर्दलीय मैदान में उतरे हैं। कांग्रेस ने हरदीप बावा (Hardeep Bawa) को टिकट दिया है।
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नालागढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में केएल ठाकुर की अच्छी पैठ मानी जाती है। विशेष रूप से जिन क्षेत्रों में बीते पांच वर्ष में बीजेपी (BJP) ने विकास करवाया है। वर्ष 2017 के चुनाव में बीजेपी की टिकट पर (KL Thakur) केएल ठाकुर को 24630 व कांग्रेस कैंडिडेट लखविंदर राणा को 25872 वोट मिले थे। नालागढ़ में कांग्रेस कैंडिडेट हरदीप बावा को भी कम नहीं आंका जा सकता है। हरदीप बावा ने वर्ष 2017 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़कर करीब 10 हजार वोट लिए थे। बावा इस बार कांग्रेस (Congress) के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं जबकि पिछली बार कांग्रेस टिकट पर विधायक बने लखविंदर राणा इस बार बीजेपी कैंडिडेट हैं।
नालागढ़ (Nalagarh) में कांग्रेस का अधिकतर दबदबा रहा है। यहां से सात बार कांग्रेस के विधायक चुने गए हैं, जबकि चार बार बीजेपी तथा एक बार जनता दल का विधायक चुना गया है। पांच बार यहां से राजपरिवार से संबंध रखने वाले विजेंद्र सिंह विधायक बनते रहे हैं। वर्ष 1977 से 1993 तक राजपरिवार के सदस्य ही यहां से विधायक चुने गए। विजेंद्र सिंह के निधन के बाद रानी सुकृति ने एक बार चुनाव लड़ा था, लेकिन वह हार गई थीं। अब राज परिवार का कोई भी सदस्य सक्रिय राजनीति में नहीं है। वर्ष 1998 से लगातार तीन बार हरिनारायण सैनी (Harinarayan Saini) बीजेपी से विधायक रहे हैं। इस बार मुकाबला त्रिकोणीय दिख रहा है।
वर्ष, नाम, पार्टी
1972-अर्जन सिंह-कांग्रेस
1977-विजेंद्र सिंह-जनता दल
1982-विजेंद्र सिंह-कांग्रेस
1985-विजेंद्र सिंह-कांग्रेस
1990,विजेंद्र सिंह,कांग्रेस
1993-विजेंद्र सिंह-कांग्रेस
1998-हरिनारायण सैनी- बीजेपी
2003-हरिनारायण सैनी-बीजेपी
2007-हरिनारायण सैनी- बीजेपी
2011-लखविंदर राणा-कांग्रेस
2012-केएल ठाकुर-बीजेपी
2017-लखविंदर राणा-कांग्रेस