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#Kullu_Dussehra उत्सव के दूसरे दिन शान से निकली भगवान नरसिंह की जलेब
कुल्लू। कोरोन काल में सूक्ष्म रूप से मनाए जा रहे अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव (Dussehra festival) के दूसरे दिन शान से नरसिंह भगवान की जलेब (Lord Narasimha’s jaleb) निकली। जलेब के माध्यम से नरसिंह भगवान ने ढालपुर में रक्षा सूत्र बांधा। मुख्य छड़ीबरदार महेश्वर सिंह ने प्राचीन परंपरा का निर्वहन किया। महेश्वर सिंह ने नरसिंह भगवान की ढाल तलवार लेकर पालकी में सवार होकर आगे आगे नरसिंह भगवान की घोड़ी के पीछे बाजा बजंतरियों की बाद्ययंत्रों धूनों पर देवलुओं ने नाचते गाते जेलब में भाग लिया और महेश्वर सिंह (Maheshwar Singh) ने नरसिंह भगवान की पालकी में सवार होकर ढाल तलवार लेकर ऐतिहासिक मैदान के चारों तरफ सुरक्षा घेरा लगाया। अस्पताल रोड से होते हुए पुराने स्टेट बैंक पार्क, कलाकेंद्र के पीछे से, ढालपुर चौक होकर राजा की चानणी के पास जलेब समाप्त हुई। इस दौरान देवी देवता के कारकूनों ने भगवान नरसिंह की पालकी में पुष्प भेंट किए। इस दौरान राज परिवार की दादी हिंडिम्बा व माता त्रिपुरा सुंदरी के कारकूनों ने भी पुष्प अर्पित किए।
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नरसिंह भगवान की जलेब का दशहरा उत्सव में अतिमहत्व है। ऐसी मानयताएं है कि दशहरा उत्सव में सुख शांति के लिए भगवान रघुनाथ ऐतिहासिक ढालपुर मैदान के चारों तरफ सुरक्षा (Security) चक्कर लगाकर कई प्रकार की बुरी शक्तियों से सभी की रक्षा करते हैं। इसके लिए नरसिंह भगवान की पालकी में ढाल तलवार से पूरे दशहरा मैदान (Dussehra Ground) के चारों तरफ प्ररिक्रमा की जाती है अर्थात सुरक्षा घेरा लगाया जाता है, ताकि दशहरा उत्सव में बुरी शक्तियां किसी भी तरह की बाधा ना पहुंचाए। दशहरा उत्सव में प्राचीन काल से जलेब की परंपराओं का निर्वहन किया जाता है।
नरसिंह भगवान की जलेब में मात्र एक देवता जम्दगनि ऋषि ने लिया भाग
भगवान रघुनाथ के मुख्य छड़ीबरदार महेश्वर सिंह ने बताया कि प्राचीन काल से लेकर जलेब का अत्यंत ज्यादा महत्व है। दशहरा उत्सव के पहले से जलेब निकाली जाती थी और उस समय देवी देवताओं का अस्थित्व था और रघुनाथ नहीं थे। उस समय शिव शक्ति की पूजा अर्चना की जाती थी। उन्होंने कहा कि इस बार कोरोनो महामारी के चलते मात्र एक देवता ने नरसिंह भगवान की जलेब में भाग लिया। जबकि पहले दर्जनों देवी देवता जलेब में शामिल होते थे। दशहरे में निकलने वाले जलेब आकर्षण का केंद्र रहती है।
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