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solar cells/ environment/IIT Mandi
भारत में सौर ऊर्जा पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। कहने को तो हम सौर ऊर्जा के माध्यम से हरित आवरण की तरफ जा रहे हैं लेकिन सौर ऊर्जा को उत्पादित करने के लिए जो सोलर सेल्स इस्तेमाल हो रहे हैं, भविष्य में उनके कचरा बन जाने पर यही सौर ऊर्जा पर्यावरण के लिए सबसे हानिकारक होगी। आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने इसी बात को समझा और भविष्य में बनने वाले इस कचरे के ढेर के निष्पादन की तकनीक को अभी से ही ढूंढ निकाला है। आईआईटी मंडी के मैकेनिकल और मैटेरियल्स इंजीनियरिंग स्कूल के एसोसिएट प्रोफेसर डा. सत्वशील रमेश पोवार के नेतृत्व में इस शोध को पूर्ण किया गया है। डा. सत्वशील के साथ मैकेनिकल एंड मैटेरियल्स इंजीनियरिंग स्कूल के सहायक प्रोफेसर डा. अतुल धर और उनकी शोध छात्रा श्वेता सिंह के सहयोग से इस शोध के विश्लेषण को जर्नल ’’रिसोर्सेस, कंसर्वेशन एंड रीसाइक्लिंग’’ में प्रकाशित किया गया है।