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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर संसद में उठी मांग, जब आबादी आधी तो सिर्फ 30% आरक्षण क्यों ?
Last Updated on March 8, 2021 by
नई दिल्ली। बजट सत्र के दूसरे चरण की शुरुआत हो गई है। इसी बीच अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस ( International Women’s Day ) के मौके पर आज संसद के बजट सत्र में महिला सांसदों ने महिलाओं के हक की बात रखी। राज्यसभा (Rajya Sabha) में कार्यवाही की शुरुआत में महिला दिवस पर बधाई दी गई। इसी दौरान एक बार फिर महिला आरक्षण का मुद्दा सदन में गूंजा। सदन में ये आवाज़ उठाई गई कि महिलाओं को सिर्फ 33 फीसदी आरक्षण क्यों दिया जा रहा है जबकि आबादी आधी है।
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शिवसेना की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने सदन में कहा, ‘देश में 24 साल पहले महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण (Reservation) देने की बात कही गई थी, लेकिन अब 33 फीसदी को बढ़ाकर 50 फीसदी कर देना चाहिए। जब देश में महिलाओं की आबादी 50 फीसदी है तो महिलाओं का प्रतिनिधित्व भी 50 फीसदी होना चाहिए।’ प्रियंका चतुर्वेदी ने सदन में कहा कि लॉकडाउन के दौरान महिलाओं पर काफी दबाव बढ़ा है, जो डोमेस्टिक से लेकर मानसिक तक का है, ऐसे में इन सभी विषयों पर सदन में विस्तार से चर्चा होनी चाहिए और महिलाओं को उनका हक मिलना चाहिए।
तेल की बढ़ती कीमतों को लेकर संसद में हंगामा
बजट सत्र में सोमवार को भी खूब हंगामा हुआ। कांग्रेस के सांसदों ने तेल की बढ़ती कीमतों के खिलाफ नारेबाजी की जिसके चलते राज्यसभा की कार्यवाही को 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया। सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि मैं सत्र के पहले दिन ही कोई कठोर कार्रवाई नहीं करना चाहता। कांग्रेस सांसदों ने तेल की बढ़ती कीमतो ंपर चर्चा की मांग करने के नारे लगाए। राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों पर चर्चा करने के लिए शून्यकाल स्थगित करने की मांग की। उन्होंने कहा कि देश में पेट्रोल की कीमत लगभग 100 रुपये और डीजल की कीमत लगभग 80 रुपये हो गई है। इसके अलावा रसोई गैस के दाम भी बढ़े हैं। उत्पाद शुल्क लगाकर 21 लाख करोड़ रुपये इकट्ठे किए गए हैं और इसकी वजह से किसान देश में पीड़ित है।