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Budget Session: कर्ज लेने की लिमिट बढ़ाने पर सदन से विपक्ष का वॉकआउट
हिमाचल प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र ( Budget Session of Himachal Pradesh vidhansabha) के दौरान आज सदन मे कर्ज लेने की लिमिट को बढ़ाने के लिए राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबन्ध (संशोधन) विधेयक लाया गया। इस पर सदन में सत्ता पक्ष व विपक्ष में गहमागहमी हो गई। सीएम जयराम की अनुपस्थिति में शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कर्ज लेने की लिमिट को 3 फीसदी से पांच फीसदी करने के लिए विधेयक पेश किया। विपक्ष ने इसका विरोध किया तो सुरेश भारद्वाज ने कहा कि यह केवल एक वर्ष के लिए है। इस पर विपक्ष ने ऐतराज जताया और सत्ता पक्ष व विपक्ष के बीच नोक-झोक हो गई।
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नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री का कहना था कि सरकार की कर्ज लेने की लिमिट बढ़ाना जनता से धोखा है। इस तरह से पूरा प्रदेश कर्ज में डूब जाएगा। इस पर विपक्ष ने नारेबाजी करते हुए सदन से वॉकआउट किया। माकपा विधायक राकेश सिंघा भी विपक्ष के साथ सदन से बाहर आए।
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मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि जह बिल प्रदेश को दिवालिया कर देगा। उनका कहना था कि बिल को सिलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाए या फिर कैबिनेट में चर्चा हो। जयराम सरकार डबल इंजन की सरकार होने का दावा करती है को वो केंद्र से मदद मांगें कर्ज नहीं। पूरी कैबिनेट केंद्र के पास आर्थिक पैकेज लेने जाए इस में विपक्ष भी सहयोग करेगा। केंद्र में बीजेपी की सरकार है इस मामले में जरूर सहयोग किया जाएगा। उधर राकेश सिंघा का कहना था कि इस बिल में संशोधन किया जाना चाहिए। विपक्ष से सदन से बाहर जाने के बादहिमाचल प्रदेश विधानसभा में हिमाचल राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (संशोधित ) विधेयक पास हुआ। सदन ने आज संशोधन विधेयक के ज़रिए ऋण लेने की सीमाबढ़ाई । अब जीडीपी का 5 फीसदी तक ऋण सरकार ले सकेगी जबकि पहले यह लिमिट 4 फीसदी थी। सदन में बिना विपक्ष के यह विधेयक पास हुआ।
संसदीय कार्यमंत्री सुरेश भारद्वाज ने विधेयक पर विपक्ष के वाकआउट को गलत करार दिया और कहा कि हिमाचल प्रदेश में कर्ज लेने की शुरुआत कांग्रेस सरकार के समय ने हुई।कांग्रेस सरकार की गलतियों का भुगतान अब प्रदेश के लोगों को करना पड़ रहा है।आज जो कानून सदन में पारित हुआ है उसमें सरकार जीडीपी का 3 फीसदी की जगह इस संशोधित विधेयक के तहत 5 फीसदी ऋण लिया जा सकेगा।
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