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सड़क किनारे अतिक्रमण पर हिमाचल हाईकोर्ट के एसडीएम व राजस्व अधिकारियों को दिए आदेश
शिमला। हिमाचल हाईकोर्ट ने सड़कों के किनारे अतिक्रमण (Encroachment) हटाने को लेकर एसडीएम (SDM) व दूसरे राजस्व अधिकारियों (Revenue Officers) को आदेश दिए हैं कि वह इन मामलों का निपटारा 4 सप्ताह के भीतर कर दें। इसके अलावा जितने भी दीवानी अदालतों में मामले अतिक्रमण को लेकर लंबित पड़े हैं उनको 3 माह के भीतर निपटाने की भी आदेश दिए गए हैं। कोर्ट (Court) ने राजस्व अधिकारियों को लताड़ लगाते हुए कहा कि उनको कानून की सही जानकारी न होने के कारण बेवजह ही वे अतिक्रमण से जुड़े मामलों को अपने पास निपटारे के लिए रख लेते हैं और इसी कारण दशकों तक ये मामले लंबित पड़े रहते हैं।
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न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश विरेंदर सिंह की खंडपीठ ने उपरोक्त आदेश (Order) पारित करते हुए राज्य सरकार को यह आदेश जारी किए कि वह दीवानी अदालतों और हाई कोर्ट के समक्ष लंबित पड़े मामलों के शीघ्र निपटारे के लिए आवेदन दाखिल करें। मामले पर सुनवाई 29 दिसंबर 2022 को निर्धारित की गई है। लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता को 29 दिसंबर 2022 तक नवीनतम शपथ पत्र दाखिल करने के आदेश जारी किए गए हैं। पिछले आदेशों के अनुपालना में राज्य सरकार (Himachal Govt) की ओर से यह बताया गया कि सड़क के किनारे पर अतिक्रमण के 472 मामले पाए गए हैं जिनमें से 134 मामले शिमला के ठियोग नेशनल हाईवे पर, 240 मामले मंडी जॉन में, 98 मामले हमीरपुर जोन के अंतर्गत पाए गए हैं जिनमें से 170 अतिक्रमण हटा दिए गए हैं।
प्रदेश उच्च न्यायालय ने कहा कि ठियोग बाईपास सड़क मार्ग के साथ किए गए अतिक्रमण के कारण एक दशक से निर्माण कार्य अधूरा पड़ा है। न्यायालय ने राज्य सरकार को यह आदेश जारी किए हैं कि वह यह सुनिश्चित करें कि जो ठेकेदार इस कार्य के लिए तैनात किया गया है उसे यह हिदायत दी जाए वह ज्यादा कामगारो को तैनात करें। ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि 31 जनवरी, 2023 तक यह बाईपास तैयार हो सके। इस बाबत भी राज्य सरकार से अनुपालना रिपोर्ट तलब की है।
हिमाचल हाईकोर्ट ने स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को किया तलब
शिमला। जंगलों में लगने वाली आग और बालिका आश्रम शिमला तक जंगल की आग पहुंचने से हुए नुकसान के मामले में प्रदेश हाईकोर्ट ने स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के सदस्य सचिव को आदेश दिए कि वह 8 दिसम्बर को न्यायालय के समक्ष उपस्थित हो। ज्ञात रहे कि 2 मई को बालिका आश्रम तक जंगल से आग पहुंच गई थी हाईकोर्ट ने दैनिक समाचार पत्रों में छपी खबर पर संज्ञान लिया था। हाई कोर्ट ने राजधानी शिमला के टूटीकंडी स्थित बालिका आश्रम में लगी आग से हुए नुकसान पर संज्ञान लिया था। खबर के अनुसार शिमला जंगल में रविवार दोपहर बाद लगी आग बालिका आश्रम तक पहुंच गई। आश्रम में भी धुआं फैलने से छात्राओं और छोटे बच्चों को सांस लेना मुश्किल हो गया था। हालांकि समय पर आग पर काबू पा लिया और बड़ा हादसा होने से टल गया था।
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खबर के अनुसार छह वर्ष तक के 20 बच्चों को यूएस क्लब स्थित वर्किंग वुमन हास्टल में शिफ्ट किया था, जबकि 70 छात्राओं को मशोबरा स्थित आश्रम में शिफ्ट किया था। दमकल विभाग की टीम, पुलिस कर्मचारियों के अलावा स्थानीय लोगों ने भी आग बुझाने में मदद की। आग इतनी भयानक थी कि पूरे शहर में धुआं हो गया था। आश्रम तक आग पहुंचने का खतरा देखते हुए पुलिस व दमकल विभाग ने बालिका आश्रम से गैस सिलेंडर बाहर निकाल दिया था। इस मामले को विस्तार देते हुए कोर्ट ने हर साल जंगलों में लगने वाली आग से पर्यावरण को होने वाले नुकसान पर चिंता व्यक्त की थी। सरकार द्वारा जंगलों की आग से तुरंत निपटने के लिए कोई कारगर उपाय न होने पर भी कोर्ट ने संज्ञान लिया है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश विरेंदर सिंह की खंडपीठ ने मामले पर सुनवाई 8 दिसम्बर को निर्धारित की है।