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ऊना में अर्ध सैनिक बल सेवानिवृत्त कर्मी बोले सीएम साहब हमें वित्तीय सुविधाएं दो
ऊना। अर्धसैनिक बलों से सेवानिवृत्त (Retired ParamilitaryForce) कर्मचारियों ने मंगलवार सुबह ऊना (Una) जिला मुख्यालय पहुंचकर जमकर हल्ला बोल किया। इस मौके पर पुराना ट्रक यूनियन मैदान से लेकर डीसी कार्यालय तक रोष रैली निकाली गईए वहीं पैरा मिलिट्री फोर्सेज से रिटायर्ड कर्मचारियों ने सेना के समान वित्तीय लाभ (Equal Financial Benefits) और अन्य तमाम सुविधाओं की मांग उठाई। वहीं संगठन के शीर्ष नेतृत्व की अगुवाई में जिला प्रशासन के माध्यम से सीएम जयराम ठाकुर को ज्ञापन पत्र भी भेजा गया। कार्यक्रम के दौरान पैरामिलिट्री फोर्स से विभिन्न स्थानों पर शहीद हुए कर्मचारियों के परिजन भी सम्मानित किए गए।
अर्द्धसैनिक बलों से सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों ने सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स वेलफेयर एसोसिएशन (Central Armed Police Force Welfare Association) के बैनर तले जोरदार रैली निकालकर अपनी मांगों के समर्थन में आवाज बुलंद की। इस मौके पर सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष वीके शर्मा (VK Sharma) ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत करते हुए रैली की अगुवाई की। वहीं पैरामिलिट्री फोर्स से विभिन्न स्थानों पर शहीद हुए जवानों के परिजनों को भी सम्मानित किया गया। इस मौके पर वीके शर्मा ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में जिला स्तर पर अपने सैनिक बोर्ड का गठन किए जाने की मांग प्रमुखता से उठाई जा रही है।
कैंटीन को जीएसटी से राहत और मोबाइल कैंटीन में ग्रोसरी और शराब की पूरे प्रदेश में इजाजत देने की मांग उठाई गई। वहीं उन्होंने अपने संगठन को प्रदेश सरकार से मान्यता देने की भी मांग की। एसोसिएशन द्वारा प्रदेश सरकार को पूर्व में दिए गए पत्रों पर कार्रवाई ना होने पर एतराज जताया गया। वीके शर्मा ने मांग की है कि प्रदेश सरकार को एसोसिएशन के पदाधिकारियों को अभिलंब बातचीत के लिए बुलाना चाहिए, जबकि 2004 के बाद बंद की गई पुरानी पेंशन योजना को भी दोबारा लागू करना चाहिए। पैरामिलिट्री फोर्स के सेवानिवृत्त कर्मचारियों ने सेना की ही तर्ज पर तमाम वित्तीय लाभ और अन्य सुविधाएं देने की मांग उठाई। वही शहीदों की विधवाओं और उनके बच्चों (Widows and their children) को भी उचित सम्मान देने की मांग उठाई गई है। उन्होंने कहा कि यदि अब भी सरकार उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं लेगी तो फिर पैरामिलिट्री फोर्स से सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों को सड़कों पर उतर कर विरोध प्रदर्शन करने पर मजबूर होना पड़ेगा जिसकी जिम्मेदारी सरकार की ही होगी।