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#Corona का डर अभी भी कायम, अभिभावकों ने बच्चों को दिखाया Red Signal, स्कूलों में संख्या कम
ऊना/मंडी। देश में लंबे लॉकडाउन के बाद अब स्कूलों को चरणबद्ध तरीके से खोलने का क्रम शुरू हो गया है। इसके तहत हिमाचल प्रदेश में 2 नवंबर से नौवीं, दसवीं, प्लस वन और प्लस टू कक्षाओं को नियमित करने का फैसला लिया गया है। हालांकि सरकार और शिक्षा विभाग (Education Department) ने छात्रों को स्कूल आने की अनुमति दे दी है, लेकिन इसके लिए उन्होंने एक बार फिर फैसला बच्चों के अभिभावकों पर छोड़ते हुए पल्ला झाड़ने की कोशिश भी की है। अभिभावक अपने रिस्क पर बच्चों को स्कूल भेज सकेंगे। सरकार के इस कदम के साथ ही बच्चों को स्कूल आने के लिए हरी झंडी तो दिखा दी है, लेकिन देशभर में शुरू हो चुकी कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच अभिभावकों ने अपने बच्चों के लिए स्कूलों को लेकर रेड सिग्नल (Red Signal) दिखा दिया है। अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने से डर रहे हैं जिस वजह से आज पहले दिन स्कूलों में छात्रों की संख्या काफी कम रही।
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जिला मुख्यालय के राजकीय बाल वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय और राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाचार्यों में सुरेंद्र कुमार रायजादा और सोम लाल धीमान ने बताया कि सरकार द्वारा तय मानकों के अनुरूप स्कूलों में बच्चों के लिए मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग और सैनिटाइजेशन का पूर्ण प्रबंध किया गया है। जिन कक्षाओं में बच्चों की संख्या ज्यादा है उनमें प्रतिशतता के आधार पर ही बच्चों को स्कूल बुलाया जा रहा है। कक्षाओं में बच्चों को सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) के साथ बिठाया जा रहा है। जो बच्चे बिना मास्क स्कूल आएंगे उनके लिए स्कूलों में ही मास्क उपलब्ध कराए जा रहे हैं जबकि स्कूल कैंपस में जगह-जगह सैनिटाइजर भी रखा गया है। क्लास रूम नियमित रूप से सेनीटाइज किए जा रहे हैं ताकि संक्रमण के प्रसार को किसी भी हद तक रोका जा सके। प्रधानाचार्य ने माना कि सरकार द्वारा स्कूलों को खोलने का फैसला लिए जाने के बावजूद अभिभावक अभी तक बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे हैं। बेहद कम बच्चे पहले दिन स्कूल पहुंचे हैं।
गौरतलब है कि रविवार को जिला के एक निजी स्कूल (Private schools) से 28 शिक्षकों की कोविड-19 टेस्टिंग के लिए सैंपलिंग की गई थी जिनमें 4 शिक्षकों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई थी। जिला के ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में कुछ एक बच्चे ही शिक्षण कार्य के लिए पहुंचे थे, लेकिन सरकार द्वारा बच्चों को स्कूल भेजने का फैसला अभिभावकों पर छोड़े जाने के बाद अधिकतर अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार नहीं है। जिसके चलते आज नियमित कक्षाओं में भी बेहद कम बच्चे पहुंचे।
मंडी के स्कूलों में भी बच्चों की हाजिरी रही कम
मंडी जिला के अधिकतर स्कूलों में भी नौवीं से बाहरवीं तक के बहुत कम छात्र स्कूल पहुंचे। मंडी शहर के पुराने स्कूलों में शुमार राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला कन्या व बाल में भी बच्चों की संख्या बहुत कम देखने को मिली। शहर के कन्या स्कूल में नौवीं से बाहरवीं तक लगभग 480 छात्राएं पढ़ती हैं, लेकिन सोमवार को स्कूल में मात्र 63 छात्राएं ही उपस्थित रहीं। स्कूल की प्रधानाचार्य डाक्टर प्रतिभा वैद्य ने बताया कि स्कूल में केवल 11वीं व 12वीं की ही छात्राएं आई हैं जबकि नौवीं व दसवीं में कोई ही छात्रा उपस्थित नहीं रही। स्कूल में कोरोना से बचाव को लेकर सभी प्रकार के दिशा निर्देशों का पालन किया जा रहा है। बच्चों के लिए हाथ धोने के साथ कक्षा में सामाजिक दूरी के साथ बैठने की व्यवस्था की गई है। बावजूद इसके बच्चों के अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने में कतरा रहे हैं। वहीं, मंडी शहर के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला बाल में भी 250 बच्चों में से मात्र 70 बच्चे ही स्कूल में आए। स्कूल के वाइस प्रिंसिपल अशोक ठाकुर ने बताया कि स्कूल में नौवीं से बाहरवीं तक की हर कक्षा में थोड़े-थोड़े विद्यार्थी आए हैं। वहीं, उपनिदेशक उच्च शिक्षा कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार कुछ स्कूलों में बच्चों की स्ट्रेंथ बढ़ी भी है जिनमें बल्ह का हटगढ़ स्कूल भी शामिल है जहां पर लगभग 135 के करीब बच्चे स्कूल पहुंचे।
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